अजीब पहेली है यह वक्त साथ रहकर भी साथ नहीं रहता

baragad

-प्रकाश केवडे-

prakash kevde
प्रकाश केवडे

वह और कोई नहीं वक्त था
जिसे कभी मैने अपना समझा था
बडा बेरहम निकला जाने से पहले
इत्तला भी न दी मुद्दत की बात और
हर जगह निशान जख्म और अनकही
दास्तान का उजडा बयार छोड गया।

कम्बख्त पुकारूं तो सुनता नहीं
आवाज को दाद देता नहीं
दुश्मन तो कह नहीं सकता
दोस्त बन के साथ नहीं देता

अजीब पहेली है यह वक्त
साथ रहकर भी साथ नहीं रहता
बहुत जल्दी है इसे भागने की
एक पल भी रूक नहीं सकता।

रचियता प्रकाश केवडे

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