– विवेक कुमार मिश्र-

कब से यह पत्थर इसी तरह पड़ा है
कहते हैं कि यह पत्थर इसी तरह पड़ा रहता
दुनिया कहीं से कहीं चली जाए
कुछ भी हो जाए
पत्थर अपनी जगह पर
सदियों से इसी तरह पड़ा है
इसी तरह रचता है भविष्य
जिस पर भूत वर्तमान और भविष्य लिखा रहता
इस तरह पहाड़ों से उतरते पठार पर ठहरा यह पत्थर
जीवन में धैर्य का पाठ पढ़ाते हुए
आंखों में बना रहता
एक ढ़़लते पहाड़ी पर स्थित चट्टान का
अपना ही सौंदर्य विधान है ।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)

















