
दोस्ती
-अनीता मैठाणी-

जादू भरा रिश्ता होती है दोस्ती,
यूं तो दोस्ती रिश्तों में नहीं आती
कहीं भी किसी से कभी भी हो जाती है
फिर जीते-जी तोड़ी नहीं जाती
उम्र कोई भी हो
दोस्त, दोस्ती सुनते ही जी मचल जाता है
दोस्तों के साथ गुजरे हसीन पल आँखों में तैर जाते हैं।
दोस्त बचपन के हों या
स्कूल-काॅलेज के भुलाये नहीं जाते,
बहुत याद आते हैं,
खुशी हो के ग़म
दूर हों के पास
अलग-अलग समय
अलग-अलग तरीके से याद आते हैं।
हमारी सफलता-असफलता तक
दोस्ती पर निर्भर करती है,
अच्छे दोस्त मिलना भी
मुकद्दर की बात होती है
अच्छे दोस्तों का साथ हो
तो घरवाले भी बेफिक्र हो जाते हैं।
इतना अपनापन और आत्मीय होता है
दोस्ताना कि-
माता-पिता को भी
ये सलाह दी जाती है कि
बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें।
भाई-बहन प्यार से रहें
तो ये कहते हैं लोग
देखो- ये कैसे दोस्त की तरह रहते हैं।
गुरू और शिष्यों के बीच भी
दोस्ताना व्यवहार से सद्भाव बढ़ने
और ज्ञान बांटने की बात साझा की जाती है।
कभी-कभी अपनी जो बात
हम घर पर नहीं कह पाते
दोस्तों से सहज ही कह जाते हैं।
फिर ऐसे में कुछ दोस्त वो होते हैं
जो उदास तो हम होते हैं
चेहरे पर बारह वो अपने बजा लेते हैं।
इसीलिए कहा गया है
खुशनसीब होते हैं वो जिनके दोस्त होते हैं
जिंदगी उनके खुशग़वार होती है जिनके दोस्त होते हैं
जादू भरा रिश्ता होता है दोस्ती
और इस जादू से ही जिंदगी गुलज़ार होती है।

















