उसी को लोग सिकंदर-नसीब* कहते हैं। जो अपने नाम के झंडे को गाड़ देता है।।

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क़तआत (मुक्तक)

-शकूर अनवर-

shakoor anwar new
शकूर अनवर

1
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शिकस्त* उसके भला क्या क़रीब आयेगी।
मुख़ालिफ़ों* के जो ख़ेमें उखाड़ देता है।
उसी को लोग सिकंदर-नसीब* कहते हैं।
जो अपने नाम के झंडे को गाड़ देता है।।
2
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तीरगी के जंगल से क़ाफ़िला निकालेंगे।
रास्ता सदाक़त* का इख़्तियार करना है।
मंज़िलें मुहब्बत की सब हैं उस किनारे पर।
नफ़रतों का ये दरिया हमको पार करना है।।
3
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शायरी में वुसअते-अफ़कार* देखा चाहिए।
ये सराब*अपनी जगह परछाइयाॅं अपनी जगह।
गो समंदर आशना* अहले-सुख़न*होते ही हैं।
मेरे शेरों की मगर गहराइयाॅं अपनी जगह।।
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शिकस्त* पराजय
मुख़ालिफ़ों*विरोधियों
सिकंदर नसीब* भाग्यशाली
सदाकत*सच्चाई
वुसअत ए अफ़कार*चिंतन का फैलाव
सराब*मरीचिका
समंदर आशना* समंदर से परिचत
अहले सुख़न*शायर साहित्यकार

शकूर अनवर
9460851271

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