
– विवेक कुमार मिश्र-

पतंग उड़ चली आसमान में
पतंग रंग देते हैं आसमान को एक नहीं अनगिनत रंगों से
आसमान अटा पड़ा है पतंग से लहराते उड़ते रंगों से
और जीवन की अनंत इच्छाओं के पतंग उड़ते रहते हैं
पतंग उड़ चली हां उड़ते – उड़ते आसान में उड़ चली
एक पतंग खो गई आसमान की ऊंचाइयों में
एक बच्चा हाथ में डोर लिए
उदास बैठा है
आसमान की ओर देखते हुए
जो उसकी पतंग उड़ चली आसमान में
एक बच्चा आसमान और धरती के बीच बैठा है
पतंग को लिए हुए
और पतंग है कि बस उड़ती ही रहती है
समय की हवाओं के लय में पतंग भी डूबी रहती है
एक पतंग जो उड़ती है
एक और पतंग जो धरती पर रहती है
बच्चों के हाथ में जो पतंग है वह आसमान में उड़ना चाहती है ।
पतंग के साथ बच्चे भी हवा में उड़ जाना चाहते हैं ।
– विवेक कुमार मिश्र
सच है पतंग की तरह अपनी इच्छाओं की डोर भी अपने हाथ होती।????????
बहुत बहुत आभार आपका
पतंग तभी तक उड़ती है और जब तक वो डोर से बंधी रहती है। एक बार डोर कटी और पतंग जमीन पर। इसी तरह वही आदमी ऊंचाइयों तक पहुंचता है जो डोर के अनुशासन से बंधा होता है।
सही बात है।