
किताबें कर्त्तव्य सिखाती है
-डाँ आदित्य कुमार गुप्ता-

किताबें पास हों तो
आदमी पास रहता है
कर्तव्य के
जीवन व्यवहार के
और तमाम देशों
की संस्कृति और समाज के
पाठ सीखने और सिखाने के।
किताब़ोंं में फूलते हैं
घर, परिवार और सभ्यता संस्कृति के
महकते पुष्प
दिशाये़ंं आलोकित करते
उज्जवल चाँद सूरज ।
किताब़ोंं में ही छिपा है हमारे , तुम्हारे
समय की साधना का वह सागर
जिसमें गहरे गोता लगाने से
मिल जाते
विवेक और चेतना के मोती
जिससे आलोकित जीवन जोति ।
ज्योति और ज्ञान ज्योति
धर्म ज्योति और ब्रह्म ज्योति
रूप अरूप के गूढ़ रहस्य
भूत वर्तमान भविष्य
किताब़ोंं की दिवारों पर अंकित
आँखों खुली रहने पर
चल चित्र की तरह कौंधते ।
डाँ आदित्य कुमार गुप्ता
बी-38 मोती नगर विस्तार कोटा ।