
– विवेक कुमार मिश्र-

समंदर की तरह लहराता चलता है। आते जाते मन पर इस तरह छा जाता है कि मन बस ठहर जाता है कि देख लें … किशोर सागर तालाब (के.एस.टी.)। शहर के बीचोबीच में अथाह जलराशि हिलोरें लेती हैं। आंखें, मन सब ठहर सा जाता है देख ले इन जल लहरियों को जब हवा से बातें करते उठती हैं तो आदमी भला कहां जा सकता उसे तो रुक कर बस देखना ही देखना है। सुबह से शाम तक न जाने कितने लोग हैं जो के.एस.टी. की जलराशि से बात करते रहते हैं । हवाएं एक तरफ, किशोर सागर की जलराशियों का किनारे से टकराना और ऊंची ऊंची लहरों का उपर उठना और इस तरह हवा के साथ चलते जाना बस आंखों को सुकून पहुंचाने के लिए काफी है।
बारहदरी पर बैठ जाइए। मन को एक शांति, चिंतन को दिशा और संसार की गति को यहां से सोचने समझने की एक दिशा मिल ही जाती है । यदि सुबह के समय यहां हैं तो सूर्य की किरणें किशोर सागर से खेलती मिलेंगी। यदि शाम के समय इधर से आ जा रहे हैं तो रोड लाइट तेज गति से आ जा रही गाड़ियों की लाइट और जल फौंवारे की किरणें सब मिलकर किशोर सागर के साथ एक ऐसा कोलाज बना देती हैं कि बस आप मुग्ध भाव से इसके सौंदर्य को देखते रहें । शहर के बीचोबीच में यह किशोर सागर सौंदर्य का, अपार जलराशि का, लोगो के घूमने का एक अड्डा है। यह जीवन को जीने समझने और उत्साह के साथ देखने का बड़ा केंद्र है।