
– विवेक कुमार मिश्र-

संसार की सबसे ऊंची पहाड़ियों से
मन झांकता है गहरी अंधेरी खाइयों में
अनगिनत बार अनगिनत बार
उठते रहते हैं तूफान के बादल
यहीं पर एक विश्वास का धागा तना रहता है कि
हर आंधियों तूफान के बाद भी
खिलेगा अस्तित्व के राग में
और चल पड़ता मन पहाड़ से भी भारी
जीवन सत्य और संघर्ष को आसान करने
अनगिनत तारे उलझे ही रह जाते
अनंत आकाशगंगाओं में
कब उनकी किरणें धरती पर आयेगी
किसे पता पर चलते रहते हैं
अपने क्रम का विस्तार लिए
ठीक उसी तरह जैसे कि पृथ्वी पर हम सब
आते हैं अपने अपने संघर्ष
और अपने अपने विस्तार को लिए हुए
यहीं से फूटती रहती हैं जीवन की किरणें
रहस्य की पहेलियां और जादुई जीवन कथा
होने और न होने के बीच कितनी कथाएं आ जाती
इसे कौन जानता …इस बीच कितनी ही जल धाराएं
अपना अपना रास्ता ले चुकी होती हैं बाबा ।
– विवेक कुमार मिश्र
सच ।आशा और विश्वास का धागा ही तो जीवन को आगे बढ़ता रहता है।