
-रानी सिंह-

वे अनपढ़ गंवार स्त्रियाँ
जो लिखतीं हैं सबसे सुंदर कविताएं
उनका जिक्र नहीं किया जाता कहीं भी
न ही दर्ज होते हैं उनके नाम
इतिहास के पन्नों पर
तमाम प्रतिमानों से परे वे
गोबर लिपी देहरी पर
माटी-पानी के घोल से उंगलियों के सहारे
उकेर देती हैं खूबसूरत कविताएं
घास-फूस, तिनका-छिलका कुछ भी हो
हर चीज से रच देतीं हैं
कलात्मक कविताएं
कादो-कीचड़ में धंसकर
खेतों में रोप देती हैं क़रीने से
लहलहाती कविताएं
ताकि हर भूखी थाली तक
पहुंच हो उनकी कविताओं की
ईंट भट्ठों पर
अपने पसीने से लिखी कविताओं को
धूप में सुखा-सुखा कर
कर देती हैं चिमनी के हवाले
और जिनसे सजता है
किसी का आशियाना
जंगलों में जंगली फूलों से
वे लिखतीं हैं तरह-तरह की कविताएं
उचारतीं हैं वन देवी को
और मना लेतीं हैं
धरती को हरिहर रखने के लिए
वे लिखती आ रही हैं सदियों से
लेकिन आश्चर्य!
आश्चर्य कि वे लिखने से न उबतीं हैं
और न ही थकतीं हैं
कितनी अद्भुत कौशल है
उनके पास लिखने की
कविताओं में शब्दों के बदले
कलाएं गूँथने की
संजोने की।
©️ रानी सिंह
ग्राम्य जीवन की सुंदर तस्वीर प्रस्तुत की है कवियत्री रानी सिंह ने