दिन भर की दौड़ धूप में मशग़ूल हैं सभी। ये ज़िन्दगी हमारी मुसलसल सफ़र में है।।

तरही ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

तारों की रोशनी में वही वो शरर में है।
उसका ही नूर झलके जो शम्सो क़मर में है।।
*
ज़ोरो जफ़ा है आम वफ़ा किस नज़र में है।
अब किस के दिल में प्यार सुकूॅं किस के घर में है।।
*
दिन भर की दौड़ धूप में मशग़ूल हैं सभी।
ये ज़िन्दगी हमारी मुसलसल सफ़र में है।।
*
चमका था मिस्ले तूर कभी दिल की राह में।
“मंज़र तेरे जमाल का अब तक नज़र में है”।।
*
मिटने लगे बहार के नक़्शो निगार सब।
अब ये चमन हमारा ख़िज़ाॅं के असर में है।।
*
आती हैं लग़्जिशें भी ज़ुबानो बयान में।
इस ऐब का भी होना ज़रूरी हुनर में है।।
*
वो क़ाफ़िला गया वो मुसाफ़िर चले गए।
उड़ता हुआ ग़ुबार ही “अनवर” नज़र में है।।
*
शकूर अनवर
सेठानी चौक श्रीपुरा कोटा 6
Mob 9460851271

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments