देखते रह गये

-शकूर अनवर-

शकूर अनवर

अब नहीं चाहिए
अब नहीं चाहिए
ऐ ख़ुदा इतनी बारिश नहीं चाहिए
इतने पानी की हमको ज़रूरत नहीं
आसमानों की साज़िश नहीं चाहिए
ये बहुत हो चुका
ऐ ख़ुदा इतनी बारिश नहीं चाहिए
हुक़्म दे बादलों को
घटाओं का रस्ता बदल
इन हवाओं का रुख़ मोड़ दे
सब कुॅंए सारे तालाब जल थल हुए
बर्फ़ की देव पैकर* चटानें खिसकने लगीं
सारी नदियां उफनती हुईं
बस्तियों की तरफ़ मुड़ गई
घर का असबाब* छप्पर
दुकानों के सामान बर्तन
मवेशी सभी के सभी बह गए
सारे कच्चे मकाॅं ढह गये
आसमानी बलाओं ने बेबस किया
कुछ नहीं कर सके
अपनी ऑंखों से अपनी तबाही को हम
देखते रह गए
देखते रह गए
*

देव पैकर*विशालकाय
असबाब*सामान

शकूर अनवर

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments