अवचेतन का दिव्य स्पर्श

पुस्तक चर्चा

रेकी हीलिंग

रेकी ग्रेंड मास्टर संजीव शर्मा और रेकी ग्रेंड मास्टर मंजू वशिष्ठ
नोशन प्रेस
संस्करण 2021
अजिल्द , पृष्ठ 254, मूल्य 599 रु

– विवेक रंजन श्रीवास्तव

जान है तो जहान है . अर्थात शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से मनीषियों के चिंतन का चलता रहा है . आयुर्वेद , यूनानी दवा पद्धती , ऐलोपैथी , सर्जरी , होमियोपैथी ,योग चिकित्सा , कल्प , अनेकानेक उपाय सतत अन्वेषण के केंद्र रहे हैं . रेकी भी इन्हीं में से एक विकसित होता विज्ञान है जिसे अब तक प्रामाणिक वैज्ञानिक मान्यता नहीं मिल सकी है . मानवता के व्यापक हित में होना तो यह चाहिये कि एक ही छत के नीचे सारी चिकित्सा पद्धतियों की सुविधा सुलभ हों और समग्र चिकित्सा से मरीज का इलाज हो सके . किन्तु वर्तमान समय भटकाव का ही बना हुआ है .
साहित्यिक पुस्तको पर तो मेरे पाठक हर सप्ताह किसी किताब की मेरी चर्चा पढ़ते ही हैं . किताब के कंटेंट पर बातें करता हूं , पाठको की प्रतिक्रियायें मिलती हैं , जिन्हें पुस्तक चर्चा में कुछ उनके काम का लगता है वे किताब खरीदते हैं .
इस सप्ताह मेरे सिराहने रेकी हीलिंग पर रेकी ग्रेंड मास्टर संजीव शर्मा और रेकी ग्रेंड मास्टर मंजू वशिष्ठ की नोशन प्रेस से प्रकाशित किताब थी . नोशन प्रेस ने सेल्फ पब्लिशिंग के आप्शन के साथ हिन्दी किताबों को भी बड़ा प्लेटफार्म दिया है . मेरी अमेरिका यात्रा के संस्मरणो की किताब “जहां से काशी काबा दोनो ही पूरब में हैं” मैंने नोशन प्रेस से ही प्रकाशित की है .
इस पुस्तक रेकी हीलिंग के कवर पेज पर ही सेकेंड हेडिंग है अवचेतन का दिव्य स्पर्श . दरअसल रेकी जापान में फूला फला एक आध्यात्मिक विज्ञान है .हमारे कुण्डलिनी जागरण , स्पर्श चिकित्सा , टैलीपेथी का मिला जुला स्वरुप कहा जा सकता है . नकारात्मक विचार , क्रोध , असंतोष , असहिष्णुता जैसे अप्राकृतिक विचार हमारे मन और शरीर में तरह तरह की व्याधियां उत्पन्न करते हैं . रेकी आत्म उन्नयन कर मानसिक ऊर्जा के संचयन से स्वयं का तथा किसी दूसरे की भी बीमारी ठीक करने की क्षमता का विकास करती है . फिल्म मुन्ना भाई एम बी बी एस में जादू की झप्पी का जादू हम सब ने देखा है . मां के स्पर्श से या पिता के आश्वासन और हौसले से रोता चोटिल बच्चा हंस पड़ता है , अर्थात स्पर्श और भावों के संप्रेषण का हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है यह तथ्य प्रमाणित होता है . वैज्ञानिक सत्य है कि ऊर्जा अविनाशी है , हर पिण्ड में ऊर्जा होती ही है , तथा ” यत्पिण्डे तत ब्रम्हाण्डे ” हम सब में वह ऊर्जा विद्यमान है , उसे ईश्वर कहें या कोई अविनाशी वैज्ञानिक शक्ति . हर दो पिण्ड परस्पर एक ऊर्जा से एक दूसरे को खींच रहे हैं यह वैज्ञानिक प्रमाणित सत्य है . इस ऊर्जा के इंटीग्रेशन और डिफरेंशियेशन को ही केंद्रीय विचार बनाकर रेकी में रेकी मास्टर स्वयं की धनात्मक ऊर्जा को बढ़ाकर , ॠणात्मक ऊर्जा के चलते बीमार व्यक्ति का इलाज करता है यही रेकी हीलिंग है .
इस किताब में रेकी के इतिहास का वर्णन है . रेकी के सात चक्र मूलाधार , स्वाधिष्टान , मणिपुर चक्र , अनाहत या हृदय चक्र , विशुद्ध चक्र , आज्ञा चक्र और सहस्त्रधार चक्र परिकल्पित हैं ये लगभग उसी तरह हैं जिस तरह हमारे यहां कुण्डलनी जागरण के चक्र हैं . किताब में स्वयं पर रेकी , तथा दूसरों पर रेकी का वर्ण किया गया है . रेकी ध्यान अर्थात मेडीटेशन , प्रभा मण्डल अर्थात औरा के विषय में भी बताया गया है . ओम के चिन्ह को ऊर्जा का प्रतिक बताया गया है .इसके साथ ही अन्य प्रतीक चिन्हों का भी विशद वर्णन है . शक्तिपात अर्थात एट्यूनमेंट को ग्रैंडमास्टर स्तर की दीक्षा बताया गया है . टेलीकाईनेसिस के जरिये दूरस्थ व्यक्ति तक शांत चित्त होकर एकाग्र ध्यान से ऊर्जा पहुंचा कर रेकी हीलिंग की जा सकती है .
रेकी विज्ञान के क्षेत्र में प्रारंभिक रुचि रखने वालों को यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी लगेगी .

– विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल

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Sanjeev
Sanjeev
1 year ago

पुस्तक की निष्पक्ष समीक्षा के लिए श्रीवास्तव जी का में आभारी हूं। आशा है इसमें दी गई जानकारी से पाठकगण लाभ अवश्य उठाएंगे । धन्यवाद

Manu Vashistha
Manu Vashistha
1 year ago

भगवान बुद्ध ने कहा है, “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है।” इसलिए इन बातों का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं। ध्यान रखें अपने अवचेतन को क्या पोषण दे रहे हैं। हैं। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि, “हम वो हैं जो हमारी सोच ने हमें बनाया है। शब्द गौण हैं, विचार दूर तक जाते हैं।”

Manu Vashistha
Manu Vashistha
Reply to  Manu Vashistha
1 year ago

विवेक श्रीवास्तव जी का बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद ????