बात क्या है मेरी क़िस्मत को बनाने वाले। क्यूॅं सितारे मेरी तक़दीर के पत्थर निकले।।

shakoor anwar
शकूर अनवर

क़तआत (मुक्तक)

-शकूर अनवर-
1
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ऐ ख़ुदा तेरी ये असनाम तराशी* है अजब।
ज़ुल्म करते हैं ये लड़ते हैं ज़ुबाॅं खोलते हैं।
बुत तराशी* में नहीं कोई भी सानी इनका।
तू तो आज़र* से सिवा है तेरे बुत बोलते हैं।।
2
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जिनसे कुछ बात न थी मुझ पे महरबान हुए।
जिनसे की मैने मुहब्बत वो सितम गर* निकले।
बात क्या है मेरी क़िस्मत को बनाने वाले।
क्यूॅं सितारे मेरी तक़दीर के पत्थर निकले।।
3
**
हमारे ज़ब्त* का अब और इम्तेहान न लो।
हमारे सब्र ओ तहम्मुल* को बुज़दिली न कहो।
हम अपनी जान को हक़ पर* निसार कर आए।
हमारी मौत को दुनिया में खु़दकुशी न कहो।।
**

असनाम तराशी*मूर्तियां बनाना
बुत तराशी*मूर्तिकला
आज़र* एक प्रसिद्ध मूर्तिकार
सितम गर*ज़ालिम
ज़ब्त*धैर्य
सब्रो तहममुल*ख़मोशी बरदाश्त
हक़पर*सच्चाई पर
ख़ुदकुशी*आत्महत्या

शकूर अनवर
9460851271

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