मरना जीना समान है प्यारे। ये तो हिंदोस्तान है प्यारे।।

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शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

अपना ऐसा मकान है प्यारे।
जिसकी छत आसमान है प्यारे।।
*
मरना जीना समान है प्यारे।
ये तो हिंदोस्तान है प्यारे।।
*
एक दहशत* दिलों पे छाई है।
वर्ना अम्नो-अमान* है प्यारे।।
*
गीत ग़ज़लें कलाम* बिकता है।
फ़िक्रो-फ़न* भी दुकान है प्यारे।।

मुख़्तलिफ़हैं सुख़न की तरकीबें।
“अपनी अपनी ज़ुबान है प्यारे”।।
*
आ ही जाऊॅंगा उसकी बातों में।
ऐसा उसका गुमान है प्यारे।।
*
मैं तेरी जान का मुहाफ़िज़* हूॅं।
तू मेरा पासबान* है प्यारे।।
*
जिसका लहजा*करख़्त हो “अनवर’।
वो भी कोई ज़ुबान है प्यारे।।
*

दहशत*ख़ौफ डर
अम्नो-अमान*शांति चैन
कलाम*काव्य
फ़िक्रो-फ़न* काव्य चिंतन
मुख़्तलिफ़*विभिन्न प्रकार की
सुख़न*काव्य शायरी
मुहाफ़िज़* हिफ़ाज़त करने वाला
पासबान*रक्षक
लहजा*शैली
करख़्त*कठोर
ज़ुबान*भाषा

शकूर अनवर
9460851271

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D K Sharma
D K Sharma
2 years ago

बहुत खूब