मीर- तुलसी- कबीर को पढ़िये उनका अनमोल अक्षर-अक्षर है

chandsherinew
चाँद ‘शैरी’

ग़ज़ल

-चाँद ‘शैरी’-

खूब इस शहर का भी मन्ज़र है
हाथ में हर किसी के पत्थर है

अक्से आईना हर घड़ी हर पल
ज़िन्दगी का बदलता तेवर है

मीर- तुलसी- कबीर को पढ़िये
उनका अनमोल अक्षर-अक्षर है

पी गया विष जो दूसरों के लिए
भेष में आदमी के शंकर है

लब पे सहरा की प्यास है लेकिन
मेरी आँखों में इक समन्दर है

मिट रहे है घरौंदे बन-बन कर
रेत है और मेरा मुकद्दर है

इन बहारों पे तू न जा शेरी
देख अंजाम इनका पतझर है

चाँद ‘शैरी’ (कोटा)

098290-98530

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