यूँ नैनों में रहता सावन फिर भी प्यासा रहता है मन

peecoke rangoli

कुछ यूँ भी !!!!

मधु मधुमन

कवयित्री मधु “मधुमन”

मुझे नहीं मालूम
प्यार किसे कहते हैं
क्या है इस की परिभाषा
क्या हैं इसके मापदंड
कैसा है इसका स्वरूप
और क्या है इसकी पहचान
मैं नहीं जानती
हाँ ! मैं सचमुच नहीं जानती
जानती हूँ
तो बस इतना

कि जब से तुम संग नहीं
बहारों में रंग नहीं
मन में उमंग नहीं
राग नहीं, तरंग नहीं
फूलों में महक नहीं
सितारों में चमक नहीं
अधरों पर मुस्कान नहीं
जीने का अरमान नहीं
स्वप्न नहीं , कोई आस नहीं
ख़ुद पर भी विश्वास नहीं
कुछ पाने का जोश नहीं
दुनिया का कुछ होश नहीं
बुझा बुझा सा रहता है दिल
भाती नहीं है कोई महफ़िल
फीके लगते हैं त्योहार
सूना लगता सब संसार
अधर कभी जब ये मुस्काएँ
आँखों में आँसू आ जाएँ
यूँ नैनों में रहता सावन
फिर भी प्यासा रहता है मन
एक उदासी हर पल तारी
साँसें भी लगती हैं भारी
अंदर से कोई रोता है
क्या जानूँ मैं क्या होता है
हो सकता है यही प्यार हो
इस एहसास का यही सार हो
फिर भी ,ये मैं कैसे कह दूँ
यही प्यार है, कैसे कह दूँ

क्योंकि सचमुच
मुझे नहीं मालूम
प्यार किसे कहते हैं
क्या है इस की परिभाषा
क्या हैं इसके मापदंड
क्या है इसका स्वरूप
और क्या है इसकी पहचान
मैं नहीं जानती
हाँ ! मैं बिल्कुल नहीं जानती
प्यार किसे कहते हैं !

मधु मधुमन

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