सौंदर्य से सजी यह दुनिया

-डॉ. रमेश चंद मीणा-

ramesh chand meena
डॉ. रमेश चंद मीणा

सौंदर्य से सजी यह दुनिया ,
रंगों का मधुर संगम समाया ।
मनमोहक आकर्षण इसका,
उजियारा सा है जीवन का ।

अलंकारों से सजी हर चीज़,
रूपरंग का बेमिसाल ताज।
सुंदरम की परिभाषा वहाँ,
सौंदर्य सदा से आदर्श जहाँ।

ममता की छाया सा सुंदर,
गुंजित सौंदर्य प्रति पहर।
समष्टि को करती आकर्षित,
लालित्य विलक्षण स्वरूपता।

इंद्रधनुषी रस परिदृश्य,
करता चित्रित मानव हृदय।
रससिक्त करता माधुर्य वहाँ,
सौंदर्य सरिता बहती जहाँ।

सुंदरम सत्य है सर्वदा,
शिवं का करती मूल्य अदा।
आभा -ज्योति झिलमिलाहट,
भावों की धवल जगमगाहट।

निष्पत्ति से प्रकाशित दुनिया,
चहुंओर भरपूर सौंदर्यमय।
अद्वितीय चरित्र सौंदर्य का,
मुदित करता हर प्राणी को।

कण-कण में निवास जिसका,
जन-मन में प्रवास उसका।
परमानन्द का उदात्त है वह,
सत्यं शिवम सुंदरम है यह।

सृष्टि का आधार-सार है वह,
सौंदर्य;सौंदर्य;सौंदर्य है;यह।।

डॉ. रमेश चंद मीणा

सहायक आचार्य
चित्रकला

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