हम तो साहिल की तरफ़ बढ़ते रहे। लाख तूफ़ाॅं ने डराया क्या हुआ।।

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

उसने मुझ पर ज़ुल्म ढाया क्या हुआ।
सब्र मेरा काम आया क्या हुआ।।
*
छीनली दुनिया ने उसकी हर ख़ुशी।
बेसबब मुझको सताया क्या हुआ।।
*
हम तो साहिल की तरफ़ बढ़ते रहे।
लाख तूफ़ाॅं ने डराया क्या हुआ।।
*
बिजलियों की ज़द में आख़िर आ गया।
मैने अपना घर बनाया क्या हुआ।।
*
रोशनी सारी की सारी लुट गई।
हमने अपना दिल जलाया क्या हुआ।
*
मैं तेरे नज़दीक तो कुछ भी नहीं।
शायरी में नाम पाया क्या हुआ।।
*
क्यों मिली है धूप की शिद्दत मुझे।
वो तेरी ज़ुल्फों का साया क्या हुआ।।
*
उसको भी ख़ामोश “अनवर” कर दिया।
इक दीया जो झिलमिलाया क्या हुआ।।
*
सब्र* धैर्य,
बेसबब* अकारण,
साहिल* किनारा,
ज़द* निशाना, घेरा,
शिद्दत* तेज़ी,

शकूर अनवर

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