
-सुजाता ‘सुज्ञाता’-

घर में खोई स्त्रियां
चाय की खुशबू के महकते
इलायची, अदरक ,दालचीनी के
स्ट्रांग फ्लेवर में मिला करती हैं!
घर में खोई स्त्रियां
कमीज़ों के टूटकर
ताजा टंके बटनों
और उधड़े रिश्तों की तुरपाई में
मिला करती हैं!
घर में खोई स्त्रियां
संदूकों में सहेज कर रखे
शादी के वक्त हाथ से पति के नाम का
पहला अक्षर कढ़े सालों पुराने
उन नए नकोर रूमालों के
लाल रेशमी धागों में मिला करती हैं
जो जीवनसाथी ने कभी छुए ही नहीं!
घर में खोई स्त्रियां
मुरब्बों की मिठास
अचारों की खटास
और ताज़ा कुटे मसालों की सुवास में
मिला करती हैं!
घर में खोने वाली सभी स्त्रियां
चाबियों के गुच्छों पर लटके
उन घुंघरुओ में मिला करती हैं
जो अल्मारियों के ताले खोल-बंद करते
अक्सर कलाई की चूड़ियों से उलझ
संगीत के अद्भुत सुर रच जाया करते हैं!
घर में खोई स्त्रियां
खाट से लग कर भी खोई रहती हैं
और तब वे अलमारियों में बिछे अखबार के नीचे पड़े
किसी मुड़े -तुड़े सौ पचास के नोट में
तकिए के नीचे रखे छोटे से पर्स में
जतन से संभाली अपनी सगाई की अँगूठी में
या किसी घुटनियों चलते नाती पोते के गले में पड़े
काले धागे में पिरोए छिक्कल पैसे में बंधी गाँठ में
या फिर पुराने नींबू के अचार के सूखकर
चूरन बनी छोटी डलियों में भी मिला करती हैं!
घर में खोई स्त्रियों को
उनके देह त्याग देने के पश्चात
यदि किसी दिन तुम उन्हें याद कर पूरे घर में
उन्हें ढूंढो और वे न मिलें तो
तो घर की चौखट को गौर से देखना,
बहुत मुमकिन है वो वहीं चींटी बनी
चौखट में पड़ी दरारों को
जतन से भरती मिल जाएंगीं!
वैसे….
घर में खोई स्त्रियां…
बात बेबात कभी खिलाकर हंसी
तो कभी
फूट फूट कर रोई ये स्त्रियां….
सुजाता गुप्ता ‘सुज्ञाता’
#स्त्रीRang
बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश