
-विवेक कुमार मिश्र-

सांसारिकता चाय पर गति पाती है
जब कोई चाय पर आता
तो केवल चाय नहीं पीता
चाय के साथ दुनियावी संबंधों को जीता है
दुनिया से बात करते
सांसारिक सत्य को पाने के क्रम में
दुनिया से जुड़ता जाता है
चाय पर एक दुनिया बसी होती
जहां से मानवीय दुनिया
अपने इच्छा के कारोबार करती रहती है
चाय पी रहे हैं
साथ में दुनियादारी को
गहरे से समझने के क्रम में
सांसारिकता को समझते हुए
जीवन पथ पर चल पड़ते हैं
कोई भी सांसारिकता ऐसी नहीं होती
जिसमें आप अकेले हों
दुनियावी संबंधों को समझने के क्रम में
चाय इस दुनिया का ही विस्तार है ।
– विवेक कुमार मिश्र
(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)
डाक्टर मिश्रा का कथन,चाय व्यवहारिकता ंंऔर व्यवसायिक कारोबार को जोड़ती है