मिटा न पायेगी बिजली मेरे नशेमन* को। अगर ये गिर भी गई तो दरख़्त चमकेगा।।

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शकूर अनवर

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

बनेगा उसका सितारा तो बख़्त* चमकेगा।
रखेगा ताज वो सर पर तो तख़्त चमकेगा।।
*
अगरचे राह का पत्थर हूॅं तुम छुओ तो सही।
तुम्हारे लम्स* से ये संगे-सख़्त* चमकेगा।।
*
मिटा न पायेगी बिजली मेरे नशेमन* को।
अगर ये गिर भी गई तो दरख़्त चमकेगा।।
*
सितारे अस्ल में पत्थर का जिस्म रखते हैं।
कभी तो मेरा वजूदे*-करख़्त चमकेगा।।
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फ़लक पे टूटते तारे की रोशनी देखो।
पड़ेगी चोट तो दिल लख़्त-लख़्त चमकेगा।।
*
कभी तो देखना क़िस्मत भी अपनी बदलेगी।
कभी तो देखना अपना भी बख़्त* चमकेगा।।
*
तुम्हारी याद का जुगनू ही साथ चलता है।
अंधेरा हो तो हो “अनवर” ये रख़्त*चमकेगा।।
*

बख़्त*क़िस्मत, भाग्य
लम्स*स्पर्श
संगे-सख़्त*कठोर पत्थर
नशेमन*घोंसला घर
वजूद*कठोर,अस्तित्व
लख़्त-लख़्त*टुकड़े-टुकड़े
रख़्त* यात्रा में साथ ले जाने वाला सामान

शकूर अनवर
9460851271

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