
-रामस्वरूप दीक्षित-

स्त्री की हंसी में
शामिल है
उन सबकी हंसी
जिनके लिए हंसना
एक ऐसा अवसर है
जो हर बार चला जाता चुपके से
उन्हें रोते रहने को छोड़कर
स्त्री की हंसी में
शामिल है
कचरे के ढेर में
जूठन तलाशते बच्चों
देह बेचकर पेट भरने को
अभिशप्त स्त्रियों
दूसरों के लिए अन्न उगाकर
खुद अन्न को तरसते किसानों
पसीने में शरीर का नमक बहाते
मजदूरों से
छीन ली गई हंसी
स्त्री की हंसी में
शामिल है
उदास जंगलों
अनमने पहाड़ों
कलपती नदियों
और खिलने से पहले ही
मसले गए फूलों की हंसी
स्त्री बेसब्री से करती है
हंसने का इंतजार
वह हंसकर उड़ा देना चाहती है
उदासी की चादर
तकलीफों के तिनकों
और दुखों के गुबार को
स्त्री की हंसी में
हंसती हैं वक्त की उम्मीदें
-रामस्वरूप दीक्षित-
मो. 9981411097