कहो तो कह दूंः काश सुभाष चंद्र बोस की डॉ हेडगेवार की भेंट हो गई होती !

– बृजेश विजयवर्गीय-

देश महान स्वतंत्रता सैनानी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है। क्या सुभाष चंद्र बोस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ हेडेगेवार में कोई समानता थी। स्वतंत्रता आंदोलन का अध्ययन करने से स्पष्ट है कि डॉ हेडगेवार की संघ संस्थापक से 1928 के कांग्रेस अधिवेशन कोलकत्ता में पहली भेंट हुई थी। एक बार बोस नागपुर से ट्रेन से कही जा रहे थे तो उन्होंने खिड़की में से संघ का अनुशासित पथ संचलन देखा तो उत्सुकतावश जानकारी प्राप्त की और संघ का पता लगते ही बोस नागुपर स्टेशन पर उतरे वह दिन 20 जून 1940 था।संघ से प्रभावित हो कर बोस डॉ हेडगेवार से मिलने नागपुर पहुंचे थे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण बोस उनसे नहीं मिल सके वहां कार्यकर्त्ताओं ने हेडगेवार जी को उठाना उचित नहीं समझा। बाद में बताया गया कि डॉ हेडगेवार जी ने इस बात पर नारागजगी जताई कि मुझे उठाया क्यों नहीं! 21 जून 1940 को संघ संस्थापक की मृत्यू हो गई। ये मुलाकात नहीं होना भारत के इतिहास में बड़ी अनौखी घटना रही। अब जब सुभाष चंद्र बोस की जयंती को संघ व्यापक रूप से मना रही है तो उनके परिजनों के कथन के अलग अलग मायने है। लेकिन इससे सच झूंठ नहीं हो जाता कि दो महान हस्तियां एक दूसरे का कितना सम्मान करतीं थी। सुभाष चंद्र बोस और हेडगेवार की कार्यशैली लगभग एक जैसी ही थी कि बोस ने इंडियन नेशनल आर्मी बनाई और डॉ हेडगेवार जी ने आरएसएस बनाया। ये कहना सही नहीं है कि संघ संस्थापक की स्वाधीनता आंदोलन में कोई भूमिका नहीं रही या बोस के संघ के बारे में क्या विचार थे। सुभाष जयंती पर जरूरत है दोनो महापुरूषों को सही परिप्रक्ष्य में समझने की।

 (बृजेश विजयवर्गीय स्वतंत्र पत्रकार और एक्टिविस्ट हैं। यह उनके निजी विचार हैं)

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