जी-20 नेताओं को आकाश को छूते भारत को दिखायेंगें

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अगर आज भारत खाद्दान्न उत्पादन में आत्म निर्भर हो चुका है तो इसका श्रेय़ अमेरिका के महान कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग और उनके साथी कृषि वैज्ञानिकों को देना होगा। वे भारत में हरित क्रांति के जनक थे। नॉर्मन बोरलॉग की सरपरस्ती में हुए अनुसंधानों के चलते भारत में भूख को शिकस्त दी। उन्होंने बीमारियों से लड़ सकने वाली गेहूं की एक नई किस्म विकसित की थी। इसके पीछे उनकी यह समझ थी कि अगर पौधे की लंबाई कम कर दी जाए, तो इससे बची हुइ ऊर्जा उसके बीजों यानी दानों में लगेगी, जिससे दाना ज्यादा बढ़ेगा, लिहाजा कुल फसल का उत्पादन बढ़ेगा।

 

-आर.के. सिन्हा-

shri r k sinha
आर के सिन्हा

आगामी 9-10 सितंबर को राजधानी में जी-20 देशों का शिखर सम्मेलन उस समय आयोजित हो रहा है, जब भारत को अलग-अलग क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलतायें मिल रही है। बेशक, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग भारतीय अंतरिक्ष की दुनिया में एक गर्व का क्षण है। सैकड़ों वैज्ञानिकों की मेहनत का फल देश को अंततः मिल गया है। चंद्रयान 3 को अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। चंद्रयान 3 की कामयाबी से सारा देश गर्व महसूस कर रहा है। इसी तरह से जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देशवसियों को गौरव के फिर से क्षण दिये। वे शायद पहले भारतीय खिलाड़ी हैं जिनसे देश सिर्फ गोल्ड की ही उम्मीद करता है। वे सारे देश के नायक बन चुके हैं। शायद इसीलिये नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। उन्होंने 88.17 मीटर तक जैवलिन फेंका। वे इस तरह वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। नीरज की प्रेरणा के चलते हमारे दो अन्य जैवलिन थ्रोअर क्रमश: किशोर जेना पांचवें और डीपी मनू छठे नंबर पर रहे। खेलों में एथलेटिक्स को सबसे अव्वल स्थान प्राप्त है। खेलों की जननी है एथलेटिक्स।  उसी एथलेटिक्स में भारत के हिस्से में ओलंपिक खेलों या वर्ल्ड चैपियनशिप में एकाध बार को छोड़कर कभी कोई बड़ी सफलता नहीं लगी थी। नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में जेवलिन थ्रो  में गोल्ड मेडल जीतकर साबित कर दिया था कि भारत के खिलाड़ी एथलेटिक्स में भी किसी से कम नहीं हैं। हमारे शतरंज के युवा खिलाड़ी रमेशबाबू प्रज्ञानंदा वर्ल्ड चैंपिंयन बनने से जरा सा के लिये रह गये। उन्हें शतरंज वर्ल्ड कप के फाइनल में हार मिली। पर उन्होंने संकेत दे दिये कि वे भविष्य के वर्ल्ड चैंपियन हैं।

वर्ल्ड मिलेट वर्ष में जी-20 के मेहमानों को निश्चित तौर पर मिलेट के पकवान भी परोसे जायेगें । अब इस सकारात्मक माहौल में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। अब भारत आयोजन के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रगति मैदान में पुनर्विकसित अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) का उदघाटन कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला समेत जी- 20 देशों के सभी प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष राजधानी नई दिल्ली में आ रहे हैं। पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन की कमी खलेगी। वे यूक्रेन युद्ध के कारण सम्मेलन में नहीं आ रहे।

भारत में 1983 के बाद जी- 20 सम्मेलन पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है। तब से भारत लगभग बदल चुका है। अब भारत विश्व की एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका है। कुछ समय पहले भारत ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी की ही अर्थव्यवस्था हमारे से आगे  है। जी-20 देशों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए आने वाले नेताओं को यह तो पता ही होगा कि भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र लगातार आग बढ़ रहा है। वह वित्त वर्ष 2021-22 में 15.5 फीसदी की वृद्धि के साथ 227 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान हुई 15.5 फीसदी की वृद्धि पिछले एक दशक के किसी भी वर्ष में हुई वृद्धि में सबसे अधिक है। भारत से संबंध रखने वाले आई टी पेशेवरों की सारी दुनिया भर में धूम है। आई टी सेक्टर भारत की तस्वीर बदल रहा है।  इसमें कोई शक नहीं है कि जी-20 के  नेताओं को भारत में अपनापन मिलेगा और अपने देश के प्रतीक भी मिलेंगे। उदाहरण के रूप में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को लेकर खबरें आ रही हैं वे और कुछ अन्य जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, ( पूसा) भी जायेंगे। जाहिर है, वहां पर उन्हें कृषि क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग की विस्तार से जानकारी मिलेगी। उन्हें पूसा में अपने देश के महान कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग की कुछ फोटो भी लगी मिलेंगी। पूसा के  किसी अधिकारी को बाइडेन को बताना होगा  अगर आज भारत खाद्दान्न उत्पादन में आत्म निर्भर हो चुका है तो इसका श्रेय़ अमेरिका के महान कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग और उनके साथी कृषि वैज्ञानिकों को देना होगा। वे भारत में हरित क्रांति के जनक थे। नॉर्मन बोरलॉग की सरपरस्ती में हुए अनुसंधानों के चलते भारत में भूख को शिकस्त दी। उन्होंने बीमारियों से लड़ सकने वाली गेहूं की एक नई किस्म विकसित की थी। इसके पीछे उनकी यह समझ थी कि अगर पौधे की लंबाई कम कर दी जाए, तो इससे बची हुइ ऊर्जा उसके बीजों यानी दानों में लगेगी, जिससे दाना ज्यादा बढ़ेगा, लिहाजा कुल फसल का उत्पादन बढ़ेगा।

जी-20 देशों के अधिकतर नेताओं के लिए गांधी जी को श्रद्दा सुमन पेश करने के लिये जाना किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं होगा। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइस इनासियो लूला डिसिल्वा राजघाट 4 जून, 2007 को आये थे। सबको उम्मीद थी कि लूला राजघाट से 15-20 मिनट में विदा हो जायेंगे, पर यह नहीं हुआ। वे राजघाट में करीब 40 मिनट तक रहे।  राजघाट से जाते हुये उन्होंने विजिटर्स बुक में लिखा कि ‘मैं शांति के दूत महात्मा गांधी की समाधि पर आकर अपने को बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं। गांधी के जीवन का उन पर गहरा प्रभाव रहा है।’ वे फिर से राजघाट जा सकते हैं।

जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो को भी  दिल्ली में अपने देश के बहुत सारे प्रतीक मिलेंगे।   उनके पूर्ववर्ती शिंजो अबे जब भी राजधानी आए तो वे यहां रहने वाले जापानी नागरिकों से भी मिले। वे अपनी 2014 की नई दिल्ली यात्रा के समय वसंत कुंज में स्थित जापानी स्कूल के बच्चों से भी मिले थे। दिल्ली में जापानी राजनयिकों और दूसरे जापानी नागरिकों के बच्चों के लिए जापानी स्कूल खोला गया था। दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा में तीन हजार से अधिक जापानी नागरिक रह रहे हैं। ये मारुति, होंडा सिएल कार, होंडा मोटरसाइकिल, फुजी फोटो फिल्मस, डेंसो सेल्ज लिमिटेड, डाइकिन श्रीराम एयरकंडशिंनिंग, डेंसो इंडिया लिमिटेड जैसी कपनियों में काम करते हैं। ये भगवान बुद्ध के अनुयायी तो हैं ही। ये भारतभूमि को गौतम बुध की भूमि होने के कारण ही पूज्नीय मानते हैं। ये मानते हैं कि भगवान बौद्ध का जीवन समाज से अन्याय को दूर करने के लिए समर्पित था। उनकी करुणा भावना ने ही उन्हें विश्व भर के करोड़ों लोगों के ह्रदय तक पहुंचाया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नई दिल्ली में होने वाला जी-20 शिखर सम्मेलन यादगार बनकर रहेगा।

(लेखक  वरिष्ठ संपादकस्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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