पाकिस्तान में किनके निशाने पर हैं पंजाबी ?

प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के बावजूद, बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे कम आबादी वाला और सबसे गरीब प्रांत बना हुआ है।   बीते कई सालों क दौरान, बलूचिस्तान सूबे में अज्ञात बंदूकधारी राजमार्ग पर चलने वाली बसों से पंजाबी मूल के यात्रियों को जबर्दस्ती उतार कर मार रहे हैं।  सैनिकों जैसी वर्दी पहने बंदूकधारी कराची और ग्वादर के बीच चलने वाली बसों को रोक कर यात्रियों के पहचान पत्रों की जांच करने के बाद अपना खूनी खेल शुरू कर देते हैं।  इनके निशाने पर सिर्फ़ पंजाबी मुसाफिर ही होते हैं।

-आर.के. सिन्हा-

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ चल रहे सघन आँदोलन के बीच वहां पंजाबियों को तटीय शहर ग्वादर में लगातार मारे जाने की घटनाएं भी हो रही है। बलूचिस्तान में  अज्ञात बंदूकधारियों ने बीते कुछ समय के दौरान सात पंजाबी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।  ये सब हेयर-सैलून के कर्मचारी थे। पाकिस्तान के अशांति से जल रहे बलूचिस्तान प्रांत में एक महीने के भीतर पंजाब के मजदूरों के खिलाफ यह तीसरा हमला है। पिछले अप्रैल में, प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से ईरान जा रहे नौ पंजाब निवासियों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी।

दरअसल बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तानी सरकार और पंजाब प्रांत पर बलूचिस्तान के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के लूटने के आरोप लग रहे हैं। बलूचियों का कहना है कि इसी शोषण के कारण बलूचिस्तान बर्बाद हो गया है। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के बावजूद, बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे कम आबादी वाला और सबसे गरीब प्रांत बना हुआ है।   बीते कई सालों क दौरान, बलूचिस्तान सूबे में अज्ञात बंदूकधारी राजमार्ग पर चलने वाली बसों से पंजाबी मूल के यात्रियों को जबर्दस्ती उतार कर मार रहे हैं।  सैनिकों जैसी वर्दी पहने बंदूकधारी कराची और ग्वादर के बीच चलने वाली बसों को रोक कर यात्रियों के पहचान पत्रों की जांच करने के बाद अपना खूनी खेल शुरू कर देते हैं।  इनके निशाने पर सिर्फ़ पंजाबी मुसाफिर ही होते हैं। पाकिस्तान सरकार हत्यारों को पकड़ने के रस्मी  दावे-वादे करती है, पर हुआ  तो कुछ भी नहीं है, अबतक!

पाकिस्तान सरकार पंजाबियों के कत्लेआम को दुनिया की निगाह से छुपाना चाहती है, पर सोशल मीडिया के दौर में यह संभव हो नहीं पाता। खबरें जैसे- तैसे दुनिया के सामने आ ही जाती हैं। पंजाबियों को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी चुन-चुनकर मार रही है। पंजाबी नौजवानों को अगवा भी किया जा रहा है। फिर उनका पता ही नहीं चल पाता। इस तरह के भी सैकड़ों केस हो चुके हैं। इस स्थिति में भारत को भी बलूचिस्तान की जनता के मानवाधिकारों की बहाली का खुलकर समर्थन करना चाहिए। यदि भारत तिब्बत के लोगों के हक में खड़ा हो सकता है, तब उसे बलूचिस्तान की जनता का भी साथ देना चाहिए।

आख़िर , किस वजह से पंजाबियों को बलूचिस्तान में निशाना बनाया जा रहा है?  पंजाबियों को मारे जाने की कोई वजह तो होगी ही। यह सच है कि पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी नफरत करती है पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियों से भरी हुई पाकिस्तानी सेना से।  सबको लगता है कि पंजाब उनका शोषण कर रहा है, उनके हकों को मार रहा है। ईस्ट पाकिस्तान, जिसे अब दुनिया बांग्लादेश के रूप में जानती है, वह भी पंजाब के वर्चस्व से निकलने के लिए ही पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह करने लगा था। ईस्ट पाकिस्तान पर पाकिस्तान सेना ने तबीयत के साथ जी भरकर नाइंसाफी की थी। उस पर उर्दू थोपी गई, ढ़ाका की बजाय कराची को देश की राजधानी बनाया गया । जबकि , ढाका हर लिहाज से कराची से बड़ा शहर था।  कराची से इस्लामाबाद में राजधानी बाद में शिफ्ट हुई थी। इस तरह से और भी बहुत से कारण थे जिनके चलते ईस्ट पाकिस्तान ने विद्रोह किया था।

पाकिस्तान की सेना पर पंजाबियों का वर्चस्व साफ है। यह  घोर भारत विरोधी भी है। इसके अलावा, पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में इस्लामिक कट्टरपन भी सबसे ज्यादा है। वहां पर हर इंसान अपने को दूसरे से बड़ा कट्टर मुसलमान साबित करने की होड़ में ही लगा रहता है। इस बीच, बलूचिस्तान की जनता यह मानती रही है कि पाकिस्तान की पंजाबियों से भरी सेना ने ही उनके महबूब नेता अकबर बुगती का कत्ल किया था। पाकिस्तान की सेना में पंजाबियों का वर्चस्व साफ है। यह याद रखना होगा कि पाकिस्तान के विचार को पंजाब ही आगे बढ़ाता है। पाकिस्तान सेना में 80 फीसद तक पंजाबी है, हालांकि देश में उनकी आबादी 65 फीसद के करीब होगी। इससे समझा जा सकता है कि पाकिस्तान सेना की जान पंजाब है। पाकिस्तान सेना ने खून-खराबा करने में अपनों को भी नहीं बख्शा है। हो सकता है कि इस पीढ़ी को पाकिस्तानी  सेना के ईस्ट पाकिस्तान में किए कत्लेआम की पर्याप्त जानकारी न हो। पाकिस्तानी सेना ने साल 1969-71 में अपने ही मुल्क के बंगाली भाषी लोगों पर जुल्म ढाहना शुरू किया। इस कार्रवाई को पाकिस्तानी सेना ने आपरेशन सर्च लाइट का नाम दिया। यह जुल्म ऐसा-वैसा नहीं था। सेना ने लाखों लोगों की बेरहमी से हत्याएं कीं, हजारों युवतियों से सरेआम बलात्कार किया और तरह-तरह की अमानवीय यातनाएं दीं। पाकिस्तानी सेना के दमन में मारे जाने वालों की तादाद 30 लाख से भी ज़्यादा रही थी।यह सब युद्ध संवाददाता के रूप में मैने अपनी आँखों से देखा है ।

बलूचिस्तान में पंजाबी विरोधी आंदोलन से अब तो पाकिस्तान सरकार की नींद उड़ी हुई है। उसका इस आंदोलन के कारण परेशान होना समझ आता है। दरअसल इसी सूबे में चीन की मदद से 790 किलोमीटर लंबा ग्वादर पोर्ट बन रहा है।  पाकिस्तान सरकार को लगता है कि ग्वादर पोर्ट के बनने से देश की तकदीर बदल जाएगी। पर बलूचिस्तान के अवाम को यह सब झूठ ही लगता है। उनका मानना है कि ग्वादर पोर्ट बनने से सिर्फ पंजाब के हितों को ही लाभ होगा। उन्हें तो बस छला जा रहा  है।

बलूचिस्तान के अवाम को लगता है कि उनके संसाधनों से पंजाब और पंजाबियों का ही पेट भरता है। इसलिए ही  बलूचिस्तान में पंजाबियों से नफरत की जाती है। बलूचिस्तान तो पाकिस्तान का अंग  बनकर रहना ही नहीं चाहता। वह तो पाकिस्तान सेना की ताकत उसे पाकिस्तान का हिस्सा बनाए हुई है। पाकिस्तानी सेना  स्वात घाटी और बलूचिस्तान में विद्रोह को दबाने के लिए टैंक और लड़ाकू विमानों तक का इस्तेमाल करती है। समूचा बलूचिस्तान  अंधकार युग में रह रहा है। इधर कायदे की शिक्षा व्यवस्था तक नहीं है।

क्या पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान में विद्रोह को दबा सकती है? अब तो उन्हें बलूचिस्तान की जनता को उनके हक देने ही होंगे। अगर वह इस मोर्चे पर सफल नहीं होती तो  बलूचिस्तान में विद्रोह और भड़क जाएगा। तब बलूचिस्तान का पाकिस्तान का अंग बने रहना कठिन होगा।

(लेखक वरिष्ठ संपादकस्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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