
-पी के आहूजा-
कोटा। कोटा संभाग में जच्चा-बच्चा के इलाज के लिए कोटा का जे के लोन ही एक मात्र बडा सरकारी अस्पताल है जबकि कोटा संभाग में चार जिले कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ शामिल हैं। इन जिलों के दूर दराज तक के गांवों से इलाज के लिए लोगों को कोटा आना पडता है।

जिस समय यह जेके लोन अस्पताल बनाया गया था उसके मुकाबले अब संभाग की आबादी बहुत ज्यादा बढ गई है लेकिन इस बढती आबादी के अनुसार हमारी चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं। भविष्य में यह जरुरतें और बढने वाली हैं। इन कमियों को देखते हुए नये कोटा क्षेत्र में बच्चो का एक बडा नया अस्पताल खोलने की महती जरुरत है। जिसकी हमें अभी से तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि अस्पताल जैसी सुविधा रातों-रात खडी नहीं की जा सकती। जब जे के लोन अस्पताल बनाया गया था तब उसकी क्षमता तत्कालीन आबादी के हिसाब से तय की गई थी। अब यह आबादी के हिसाब से बहुत छोटा है। यही कारण है कि यहां इलाज कराने के लिए लम्बी लाइने लगती हैं। इसी से अव्यवस्था फैलती है।
अधिक सुविधाओं वाला अस्पताल बनाया जाना जरुरी
हालांकि इस अस्पताल में कई निर्माण कराए गए हैं जिससे क्षमता का विकास हुआ है लेकिन इसकी भी एक सीमा है। फिर भी हाडोती के चारों जिलो के हिसाब से बढती आबादी की भविष्य की जरुरतों को ध्यान में रखकर नए कोटा में अधिक सुविधाओं वाला अस्पताल बनाया जाना जरुरी हो गया है। वैसे भी कोटा के लिए विकास के लिए यह सबसे अच्छा मौका है। जहां राज्य सरकार में कोटा से यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल दूसरे सबसे प्रभावशाली मंत्री हैं वहीं केन्द्र में ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं। इनके प्रयास नए अस्पताल के निर्माण में सहायक हो सकते हैं।
कोटा मेडिकल कॉलेज मील का पत्थर
यह ध्यान देने योग्य है कि ललित किशोर चतुर्वेदी ने 32 साल पहले कोटा मेडिकल कॉलेज का सपना देखा था। अब यही अस्पताल नये कोटा में मील का पत्थर साबित हो रहा है। इसी तरह की सोच हमारे दिग्गज नेताओं को भविष्य की बढती जरुरतों को देखते हुए रखनी होगी। अभी कोटा इतना सक्षम हो चुका है कि नया अस्पताल तैयार किया जा सकता है। यहां के कोचिंग संस्थान भी इसमें शामिल होकर मदद कर सकते हैं। सरकार जमीन दे और यहां आम जन मिलकर अस्पताल बना दें।
(लेखक व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं)