-ए एच जैदी-

(नेचर प्रमोटर)
कोटा। एक ओर शहर को अरबों रुपए खर्च कर स्मार्ट और पर्यटक फ्रेंडली बनाया जा रहा है दूसरी ओर लक्की बुर्ज के पास ऐतिहासिक किशोर सागर तालाब की पाल चूहों की वजह से जर्जर होती जा रही है। यह कोई आम समस्या नहीं है। वर्षों से यहां कबूतरों को दाना डाला जाता है। लेकिन कबूतर जो दाना छोड देते हैं वह चूहों का भोजन बनता है। इन चूहों ने दाने के लालच में यहां बिल बना लिए और उनकी आबादी दिन दूनी रात चौगुनी बढती गई। हालत यह है कि एक साल पूर्व भी यहां की सडक धंस गई थी। उसकी मरम्मत कराई गई। लेकिन फिर यह समस्या आन खडी हुई है।

कबूतरों को दाना डालना अच्छा है दानां मछलियों को भी डाला जाता है।सब सही है या समस्या ये है एक साल पूर्व यहां सड़क धंस गई थी। इसकी मरम्मत कराई गई। फिर वही समस्या होने लगी है। चूहों ने सड़क में फुटपाथ पर ओर पेड़ो की जड़ो में बिल बनाए जो अब बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं।
प्रशासन भी सड़क के धंस जाने से परेशान है। कई बार इस मार्ग को दुरस्त करवाया जा चुका है। बिलों की वजह से तालाब की पाल पर लगी रेलिंग भी झुक जाती है। लगभग साल भर पहले यहां मिनी बस तिरछी हो गई थी और पलटने से बची। इसके बाद प्रशासन ने बेरिकेट लगवाए थे।
