-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
अर्जुन वृक्ष एक औषधीय वृक्ष है जो तकरीबन 70 से 80 फिट ऊंचा होता है। पत्ते अमरुद के पत्तों जैसे 7 से 20 सेण्टीमीटर लंबे आयताकार होते हैं या कहीं-कहीं नुकीले होते हैं। इसमे फल सफेद या पीले मंजरियों में लगे होते हैं जिनमें हल्की सी सुगंध भी होती है।

इसे घवल, ककुभ तथा नदीसर्ज भी कहते हैं। यह वृक्ष एक बड़ा सदाहरित पेड़ है। अर्जुन की छाल एक आयुर्वेदिक औषधी है, जिसका इस्तेमाल शरीर की कई परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल काढ़े के रूप में किया जाता है। यह इंफेक्शन, संक्रमण, गले की खराश, सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियों को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है।

छाल बाहर से सफेद, अन्दर से चिकनी, मोटी तथा हल्के गुलाबी रंग की होती है। लगभग 4 मिलीमीटर मोटी यह छाल वर्ष में एक बार स्वयंमेव निकलकर नीचे गिर पड़ती है। इसका स्वाद कसैला, तीखा होता है तथा गोदने पर वृक्ष से एक प्रकार का दूध निकलता है।
