-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
सियार वृक्ष पर खिले फूल बहुत आकर्षक नजर आते हैं और जब वे झरते हैं तो जमीन पीले रंग की चादर बिछ जाती है। लेकिन जहां इसके फूल आकर्षक होते हैं वहीं इसमें औषधीय गुणों का खजाना भरा है।
ओषधीय गुण – चिकित्सीय अध्ययनों में इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, एंटीकैंसर, हेपेटोप्रोटेक्टिव, न्यूरोप्रोटेक्टिव, संज्ञानात्मक बढ़ाने, एंटीडायबिटिक, एनाल्जेसिक, एंटीयूरोलिथियेटिक, एंटीडायबिटिक, एंटीऑक्सिडेंट, एसिटाइल- और ब्यूटिलकोलिनेस्टरेज़ इनहिबिटरी, न्यूरोप्रोटेक्टिव, एस्ट्रोजेनिक, एंथेलमिंटिक कीटनाशक, मलेरिया-रोधी, झिल्ली को स्थिर करने वाला, एंटीमेटिक गुण पाए गए हैं।इसके तने, छाल, फूल और पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

स्टामाटाइटिस, अनिद्रा, त्वचा की समस्याओं, कब्ज, दाद के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। अनिद्रा के इलाज के लिए फूलों का इस्तेमाल नींद लाने के लिए किया जाता है। छाल का उपयोग पेचिश के लिए, आंखों के लोशन के रूप में, और दर्द और घावों के लिए गले में खराश के लिए किया जाता है। पत्तियों का काढ़ा त्वचा विकारों के लिए प्रयोग किया जाता है,पेचिश में इस्तेमाल किया जाने वाला तना आसव, गरारे और मांसपेशियों में दर्द में राहत देता है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों के लिए और प्रसवोत्तर दर्द, मोच, खरोंच और सूजन के लिए फूलों का उपयोग कसैले के रूप में किया जाता है।

















