यह हरियाली मन मोह लेती है जो…

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– विवेक कुमार मिश्र-

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डॉ. विवेक कुमार मिश्र

सुबह-सुबह धूप में खिली हरियाली एक अलग ही दुनिया की कहानी कहती है। सुबह हो और ठंडी हवाओं के बीच सूर्य की किरणें खेतों को दुलराते हुए इस तरह हरियाली को सामने लाती हैं कि देखते ही बनता। सुबह, हरियाली और ताजगी फसलों के ऊपर ओस की बूंदे कुछ ऐसे कहती हैं कि यही जीवन का राग है। इसी सम्राट पर चलते चलों खेत खलिहान और रास्ते से गुजरते हुए हरियाली को अपने आसपास को और हरे-भरे संसार को महसूस करते चलें तो जिंदगी में सुकून की छाया आपसे आप बनती जाती है। यह सुकून आंखों को जहां राहत देता है वहीं मन को अपार शांति और समृद्धि का एहसास करा जाता है। वैसे ही बहुत सारी परेशानियां दुख – दर्द दुनिया में है इससे निकलने के लिए अपने आसपास के संसार को, अपने आसपास की दुनिया को और उस सकारात्मकता को देखना चाहिए जिससे जीवन ठीक से संभव होता है। यह खेत यह हरियाली और यह रास्ते आपको हमेशा एक सुकून भरी दुनिया से जोड़ने का काम करते हैं। और धूप में खिली हरियाली कुछ ऐसे ही है जैसे किसी वृत्त पर खिला हुआ ताजा टटका फूल हो। यह हरियाली मन मोह लेती है जो खेतों से निकलती है और सूर्य की किरणों के बीच चमक रही है । इस चमक को देखें और दुनिया को देखें।

– विवेक कुमार मिश्र

(सह आचार्य हिंदी राजकीय कला महाविद्यालय कोटा)
F-9, समृद्धि नगर स्पेशल , बारां रोड , कोटा -324002(राज.)

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