-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
आरएसी हर्बल गार्डन में इन दिनों सुर्ख सिंदूरी रंग के फूल ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इन्हें लिपस्टिक का पेड़ भी कहा जाता है। भारत में इसके बीजों को प्राकृतिक पीले-नारंगी रंग के लिए सदियों से उगाया जाता रहा है। यह एक सुरक्षित रंग एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।

इसकी फली के अंदर लगभग 50 बीज उगते हैं। फूलों के इन बीजों को भोजन, कॉस्मेटिक और साबुन उद्योगों के लिए डाई के रूप में नारंगी-पीले वर्णक, सिंदूरी, केसरिया और लाल रंग प्राप्त करने के लिए संसाधित किया जाता है। इस डाई का इस्तेमाल मक्खन, चीज़, चावल, मिठाइयां सहित विभिन्न खाद्य पदार्थों को रंगने के लिए किया जाता है। कई जगह चावल को रंगने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह पेड़ उष्णकटिबंधीय अमेरिका मूल का पादप है, लेकिन लंबे समय से पूरे उष्णकटिबंधीय दुनिया में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है।

ओषधीय उपयोग – आयुर्वेद में बीज को ढकने वाली एरिल का जलने और रक्तस्राव, पेचिश, सूजाक, कब्ज, ब्लड प्रेशर, सफेद दाग, अनिंद्रा और बुखार के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।

त्वचा को कांतीमय बनाने के लिए तेल ग्रंथि गतिविधि को कम करने, छिद्रों की उपस्थिति को कम करने और एक शक्तिशाली शुद्धिकरण और छिद्र-शोधन एजेंट रूप में उपयोग किया जाता है। मुहांसे वाली त्वचा के लिए, बिक्सा ब्रेकआउट के चक्र को बाधित करने और त्वचा को चिकनी बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है।
