नदियों को सदानीरा बनाने के लिए जन जागरूकता जरूरी

सेरनी नदी उत्सव में चम्बल संसद भी शामिल

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– चमन सिंह-

(प्रबंधक, तरूण भारत संघ)

कोटा। चम्बल संसद के प्रतिनिधि मण्डल ने गत दिवस राजस्थान के डांग क्षैत्र करौली के मासलपुर में सेरनी नदी के उद्गम स्थल का दौरा कर तरूण भारत संघ के प्रयासों से पुनर्जीवित नदी से लोगों का जिंदगी आए बदलाव का अध्ययन किया। इन लोगों ने यहां किसान जागृति सम्मेलन में कहा कि नदी को सदानीरा बनाने के ग्रामीणों के प्रयास अनुकरणीय है। कोटा संभाग के असिंचिंत क्षैत्रों में यह प्रयास कारगर हो सकता है।
चम्बल संसद के समन्वयक जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि करौली के सेरनी नदी के आसपास के हजारों ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था भारी परिवर्तन आया है । ये लोग वनवासी सहरिया है जिससे नदी का नाम सेरनी हुआ। अब वे शहरों की ओर पलायान नहीं कर रहे।पर यहां  आयोजित किसान जागृति सम्मेलन में लोगों की भागीदारी नदी उत्सव के रूप में सामने आई। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और पुरूषों के चेहरे पर चमक बता रही थी कि समाज पानीदार बन रहा हैं।

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विजयवर्गीय ने कहा कि हर व्यक्ति में जल पुरूष राजेंद्र सिंह का व्यक्तित्व जगाना होगा। एक राजेंद्र सिंह भागीरथ के रूप में पूरे देश को जागृत कर रहे हैं। ग्रामीणों को खुद ही भागीरथ बनना होगा। चम्बल संसद के प्रतिनिधि मण्डल में संरक्षक कौशिक गायत्री परिवार के यज्ञदत्त हाड़ा ,जल बिरादरी के चंद्रकांत सिंह परमार, बूंदी जल बिरादरी के अध्यक्ष विट्ठल कुमार सनाढ्य ने नदी के कैचमेंट क्षैत्र के जंगल का अवलोकन कर वहां के लोगों से संवाद किया। हाड़ा ने ग्रमाीणों द्वारा सिंघाड़ा की खेती को सराहा और कहा कि पानी को बचाने का असर है। उन्होंने लोगों से नशा मुक्ति का भी आव्हान किया।

परमार ने वर्षा जल की बूंदों को सहेजने के प्रयासों को प्रशंसनीय बताया। सनाढ्य ने पानी संग्रहण से एवं जंगली जीवों के साथ ही गा्रमीणों का होन वाल लाभ भी गिनाए। तरूण भारत संघ के प्रबंधक चमन सिंह, रणवीर सिंह गूर्जर,स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने चम्बल संसद के सदस्यों का साफा पहना कर अभिनंदन किया।

 

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