
-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
सामान्य नाम – चमरोर, दतरंगा, तमोरिया और संस्कृत में पलदत्तम कहा जाता है। इसका वनस्पतिक नाम एहरेतिया लाविस है।

यह तेजी से बढ़ने वाला छोटा पेड़ है। अनाकुआ में गहरे हरे पत्ते होते हैं। यह वसंत से गर्मियों तक सफेद फूलों के घने गुच्छों के साथ खिलता है। फूल तेजी से झड़ते हैं, और पेड़ के नीचे सफेद रंग की आकर्षक गलीचा बिछाते हैं।

आयुर्वेद में इसका उपयोग अस्थमा, डिप्थीरिया, कटने और घाव, एस्ट्रिंगेंट, फ्रैक्चर, डिमलसेंट, डायरिया, पेचिश, दांत दर्द, खांसी, सिफलिस, गोनोरिया कैशेक्सिया, और वीनर रोगों के उपचार में किया जाता है।

(यह वृक्ष रावतभाटा रोड कोटा डेयरी के पास देखा गया)
अंधाधुंध पेड़ पौधों की कटाई और बागों को बर्बाद किए जाने से प्रकृति की अनमोल वनौषधियों का नामोनिशान मिट गया है,प्राचीन काल में हमारे पुर्वज गांवों के वनों में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों से इलाज करते थे, आज इनके जानकार भी नहीं बचे हैं.