कब… क्या ? और किस के लिए ?

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अखिलेश कुमार

-कृतिका शर्मा-

kratika sharma
कृतिका शर्मा

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर इंसान अपने कार्य में व्यस्त है, अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने मे लगा हुआ हैं। लेकिन फिर भी निराश है। और 100 में से 90 लोगों की परेशानी का कारण हैं, लोगो से मिली निराशा। लोग यही शिकायत करते हैं कि हमने उसके लिए ये किया, वो किया लेकिन उसने कदर नहीं समझी। लेकिन कभी ये सोचा हैं कि आपने जो किया वो क्या सच में सही किया? या क्या सच में सही इंसान के लिए किया?
शायद कई लोगो की निराशा का समाधान हो सकता हैं अगर उन्हें यह समझ आ जाए कि उन्हे कोई भी कार्य, कब करना हैं, क्या करना है और किस के लिए करना हैं।
एक कहानी द्वारा समझा जा सकता हैं। बहुत से लोगों ने सुनी भी होगी।
एक बार एक राजा होता हैं, उसके यही तीन प्रश्न होते हैं, कि सफलता प्राप्त करने के लिए क्या किया जाए?कब किया जाए? और किस् के लिये किया जाए?
इसके लिए राजा अपने राज्य में घोषणा करता है कि अगर इन तीनों प्रश्नों का उत्तर उसे किसी ने भी सही दिया तो राजा उस व्यक्ति को पुरस्कृत करेगा।
राज्य के अधिकतर विद्वानों को बुलाया गया। लेकिन किसी का भी उत्तर राजा को समझ नहीं आया। फिर किसी विद्वान ने बोला कि महाराज अब आप को अपने प्रश्नों का उत्तर एक ही इंसान दे सकता हैं वो हैं जंगल मे रहने वाला साधू। लेकिन आपको ही उनके पास जाना पड़ेगा। लेकिन वह साधू सिर्फ आम इंसान से ही मिलता हैं। राजा को समझ आ गया था। कि उसे क्या करना है।
अगले दिन राजा अपने सैनिको के साथ जंगल पहुंचा। लेकिन कुछ ही दूरी पर उसने अपने सैनिको को छोड़ कर साधारण वस्त्र पहने और साधु के पास पहुंचा। साधू पतला दुबला सा, अपने कार्य (गढ्ढा खोदना) में लगा हुआ था। राजा ने साधू को प्रणाम किया, और अपने तीनों प्रश्नों के उत्तर मांगे। लेकिन साधू ने कोई उत्तर नहीं दिया। फिर राजा ने साधू से बोला कि आप थक गये होंगे आप आराम करें, मैं आपका कार्य करता हूँ। राजा ने साधू का कार्य करते हुए फिर अपने प्रश्नों को दोहराया। लेकिन साधू ने अनसुना कर बोला कि अब आप आराम कीजिये मैं कार्य करता हूँ। तभी एक आदमी उनके समीप आया। राजा ने देखा वो बहुत घायल हैं, तो राजा ने पूरी रात बैठ कर उसके जख्मों को साफ किया, उसके खून को कपड़े से बाँध कर रोक कर रखा। और फिर उसी घायल व्यक्ति के समीप सो गया। सुबह उठते ही राजा ने साधू से अपने प्रश्नों के उत्तर मांगे। लेकिन साधू ने कुछ नहीं बोला। तभी उसने देखा कि वो घायल आदमी पहले से ठीक अवस्था मे था। और राजा से क्षमा मांग रहा था।
राजा ने जब कारण पूछा तब उसने बताया कि महाराज मैं आपको ही मारने आया था, क्योकि आप ने पहले मेरे भाई को मारा था और राज्य भी छीन लिया था। लेकिन आप को मारने के लिए आते समय आप के सैनिको ने मुझे घायल कर दिया, और आपने ही मेरी जान बचाई। राजा ने जब ये सब सुना तब उसे बहुत खुशी हुई कि एक दुश्मनी ख़त्म हुई और मित्रता में बदल गयी। तब वह बोला कि मैं तुम्हे तुम्हारा राज्य वापस करता हूँ, और मेरे खास वैद्य तुम्हारे जख्मांे का इलाज करेंगे। इसके बदले उस घायल व्यक्ति ने बोला कि मेरे पुत्र हमेशा आपकी सेवा मे हाज़िर होंगे। और जब कभी आपको युद्ध मे जाना होगा तो मैं और मेरी पूरी सेना आपके साथ होंगी। इतना कह कर वो व्यक्ति चला गया।
राजा फिर उस साधू के पास गया और बोला कि मेरे प्रश्नों का उत्तर अब तो दे दीजिए महर्षि। साधु ने बोला कि महाराज आप को अपने प्रश्नों का उत्तर मिल चुका हैं। राजा सोच मे पड़ गया।
तब साधू बोला कि महाराज…
1–आपका पहला प्रश्न हैं कि कोई भी कार्य कब करना चाहिये? उत्तर है- सही समय। जैसे कि आप मेरे पास आये और अगर मैने आपको आपके प्रश्नों के उत्तर नही दिये तो भी आप रुके रहे। अगर आप लौट जाते तो वह व्यक्ति आपको मार देता। अर्थात आपको सही समय की पहचान होनी चाहिये।
2– आपका दूसरा प्रश्न कि क्या करना चाहिये? उत्तर है – सदैव भलाई बिना यह सोचे कि भविष्य मे उस व्यक्ति से कोई सम्बन्ध होगा या नहीं। जैसे आपने हमारी मदद की। बिना ये सोचे की मैने आपको आपके प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये और उस व्यक्ति से आपका क्या सम्बंध हैं।
३– और आप का सब से महतवपूर्ण प्रश्न कि किसके लिए कार्य करना चाहिये? उत्तर हैं – वह इंसान जिसको सब से ज्यादा आपकी ज़रूरत हो। जैसे उस। समय् मुझे और बाद मे उस व्यक्ति को ज़रूरत थी आपकी।
यह कहानी हमेशा यही सिखाती हैं कि हमें कोई भी काम करने से पहले सही समय और सही इंसान की पहचान होना ज़रूरी हैं।
ज़रूरी नही कि आप हमेशा सब की मदद करते रहे। क्योंकि आज समय के साथ इंसान की प्रवृति भी बदल चुकी हैं। हर वक़्त भलाई या आप की ही चर्चा हो इसलिए भलाई आवश्यक नहीं। आप हमेशा एक ही समय मे एक साथ सब को खुश नहीं कर सकते।
इसलिए भलाई सही समय में सही ज़रूरतमंद इन्सान की करो। निराशा कभी हाथ नहीं लगेगी।

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