
नोटिस से नहीं चल सकता काम, जरूरत है ठोस कार्रवाई की
-द ओपिनियन-
भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की बसपा सांसद दानिश अली पर की गई अमर्यादित टिप्पणी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। विपक्षी दल सत्ताधारी भाजपा को घेरने में लगे हैं। दानिश अली और कई विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से यह मामला विशेषाधिकार समिति को भेजने की मांग की है। इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दानिश अली से शुक्रवार शाम मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि कांग्रेस उनके साथ खड़ी है। राहुल गांधी ने दानिश अली से दिल्ली में उनके आवास पर मुलाकात की। बाद में राहुल गांधी ने कहा, नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान। वहीं, दानिश अली ने इस मुलाकात के बाद कहा, वह मेरा मनोबल ऊंचा रखने और अपना समर्थन देने के लिए मिलने आए।
विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे को भाजपा के साथ पीएम मोदी पर भी निशाना साधा है। हालांकि इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सदन में खेद व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ है। हालांकि बिधूडी के अमर्यादित शब्द लोकसभा की कार्यवाही से निकाल दिए गए लेकिन दानिश अली का आहत होना स्वाभाविक है। तमाम राजनीतिक मतभेदों के बावजूद सांसदों से सदन में उच्च प्रेरणादायी आचरण की उम्मीद की जाती है और किसी भी अमर्यादित टिप्पणी की अनदेखी नहीं की जा सकती।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दानिश अली ने कहा, मुझे उम्मीद है कि मेरे साथ न्याय होगा और लोकसभा अध्यक्ष इस मामले में कार्रवाई करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं भरे मन से इस सदन को छोड़ने पर विचार करूंगा। दानिश अली ने इस मामले में संघ पर भी निशाना साधा है। दूसरी ओर विपक्ष के हमलों से घिरी भाजपा ने रमेश बिधूडी को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर बिधूड़ी को यह कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बिधूडी कई बार विवादास्पद टिप्पणियों के कारण पहले ही विवादों के घेरे में रह चुके हैं। लेकिन इस बार उन्होंने जिस तरह की टिप्पणी की वह किसी जनप्रतिनिधि को शोभा नहीं देता। सदन के लिए उच्च नैतिक मानदंडों का पालन होना ही चाहिए। क्योंकि इस तरह की सियासी टिप्पिणी समाज में दरार पैदा करती हैं। इसलिए जरूरी है कि भाजपा अपने सांसद से केवल जवाब मांगने तक ही सीमित नहीं रहेे। भाजपा को इस मामले में एक नजीर पेश करनी चाहिए।