अब राष्ट्रीय फलक पर खुद को स्थापित करना चाहते हैं केसीआर

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-विष्णुदेव मंडल-

विष्णु देव मंडल

(चेन्नई के स्वतंत्र पत्रकार)
तेलंगना राष्ट्र समिति पार्टी अब भारत राष्ट्र समिति में तब्दील हो चुकी है। भारतीय चुनाव आयोग ने भारत राष्ट्र समिति को राष्ट्रीय पार्टी की अनुमति दी है।
ज्ञात हो कि फरवरी 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलांगना राज्य का गठन हुआ था। अपने शासन के आठ साल बाद मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव अपना दायरा सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं रखना चाहते, उनकी महत्वाकांक्षा हिलोरे ले रही हैं। वह राष्ट्रीय फलक पर अपने आप को स्थापित करना चाहते हैं। यही वजह है की केसीआर अब तक देश के अन्य राज्यों के नेताओं मसलन उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, कर्नाटक जनता दल एस नेता पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल सरीखे कई विपक्षी नेताओं से संवाद स्थापित कर रहे हैं।
अपने पार्टी के विस्तार के लिए पिछले कुछ सालों में आंध्र प्रदेश के कई पूर्व नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स को अपने पार्टी में शामिल किए हैं।
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग से मिली अनुमति के बाद 14 दिसंबर को के.चंद्रशेखर राव ने दिल्ली स्थित सरदार पटेल मार्ग पर अपने राष्ट्रीय पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया जिनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी समेत कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे।
केसीआर मकर संक्रांति के बाद अपनी पार्टी के विस्तार और केंद्रीय स्तर पर पार्टी के फलक चौड़ा करने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाएंगे। उनका पहला कदम आंध्रप्रदेश में अपना अस्तित्व बनाने का है जहां फिलहाल जगनमोहन रेड्डी की सरकार है। उन्होंने आंध्रप्रदेश की राजनीतिक पार्टी तेलुगू देसम के कई पूर्व नेताओं को अपने पार्टी में शामिल किया हैं। चंद्रबाबू नायडू सरकार में 2014 से 2018 तक मंत्री रहे राबेला किशोर बाबू, पूर्व आईआरएस अधिकारी चिंताला पार्थसारथी और कई अन्य नेताओं को पार्टी में शामिल किया है। गौरतलब है कि रावेला किशोर बाबू बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक दिवंगत कांशीराम के साथ काम कर चुके हैं, जो केसीआर को पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए सहयोग करेंगे।

केसीआर की राह आसान नहीं

वैसे तो तेलंगना विधानसभा में केसीआर की पार्टी का प्रचंड बहुमत है। कहने को तो तेलंगना में कांग्रेश टीडीपी, भाजपा सभी पार्टियों की मौजूदगी है, लेकिन महज तीन विधायक वाली पार्टी भाजपा ने टीआरएस के नाक में दम कर रखा है। टीआरएस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच कई बार संघर्ष भी हुआ है। पिछले दिनों टीआरएस ने भाजपा पर यह आरोप लगाया था कि भाजपा तेलांगना में आपरेशन कमल चलाने की फिराक में है। मतलब यह कि भाजपा टीआरएस के विधायकों को धनबल से अपनी तरफ करना और सरकार गिराना चाहता है!
यहाँ सवाल यह उठता है कि महज तीन विधायक वाली पार्टी भाजपा जिनका अपना कोई मजबूत आधार नहीं है वह आपरेशन कमल कैसे चला सकती है।
जबकि भाजपा टीआरएस के उन आरोप को खारिज कर रही है। टीआरएस और भाजपा में इतनी तलखी बढ गयी है कि प्रधानमंत्री मोदी के तेलांगना दौरे पर भी प्रोटोकॉल के तहत केसीआर उनके आगवानी के लिए नहीं पहुंचते। दूसरी तरफ केसीआर के पहचान तेलंगाना के बाहर बिल्कुल नहीं है, कई राज्यों में लोग और नेता केसीआर को जानते तक भी नहीं है। जबकि केसीआर ने स्पष्ट संकेत दिया है कि आगामी 2024 में यदि कोई प्रधानमंत्री के पद के दावेदार है तो केसीआर उनमें सबसे प्रबल है। अगला आम चुनाव का परिणाम चाहे कुछ भी हो लेकिन के चंद्रशेखर राव अपनी पार्टी को विस्तार के लिए आगे बढ रहे हैं।

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