
-द ओपिनियन-
पंजाब के अमृतसर में गुरुवार को हुआ बवाल चौंकाने वाला है। वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत की गिरफ्तारी के विरोध में अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। हजारों की संख्या में आक्रोशित लोगों ने बंदूक, तलवारों और लाठियां लेकर जिस तरह से थाने पर हमला किया वह किसी गिरफ्तारी यदि वह गलत की गई है, का सामान्य विरोध मात्र नहीं है। यह घटना कुछ और ही संकेत देती है। ऐसा लगता है प्रदर्शनकारी जताना चाहते हों कि हम कानून से बड़े हैं। लवप्रीत तूफान को एक व्यक्ति का अपहरण करके उसके साथ बुरी तरह से मारपीट करने आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
आज की यह घटना पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए अहम चुनौती है। पंजाब एक सीमावर्ती राज्य हैं जहां पर सीमापार से मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी होती है। हाल के दिनों में पंजाब में ड्रोन से हथियार व मादक पदार्थ गिराने की घटनाएं बढ़ी हैं। इसलिए यह देखना होगा कि कहीं सीमापार की दुश्मन ताकतें पंजाब में फिर माहौल बिगाड़ने का प्रयास तो नहीं कर रही हैं। दुश्मनों को पंजाब में शांति बहुत अखरती है।
क्यों है चिंता की बात
यह घटना एक प्रकार से शक्ति प्रदर्शन करने जैसा है। ‘वारिस पंजाब दे‘ खालिस्तान समर्थक संगठन माना जाता है।. हाल ही ब्रिटेन,कनाडा व ऑस्ट्रेलिया में हाल में हुई भारत विरोधी घटनाओं के बीच अमृतसर की यह घटना हुई है। विदेशों में सक्रिय तत्व और उनका साथ दे रही ताकतें किसी से छिपी नहीं है। वे पंजाब में माहौल बिगाडने के प्रति सक्रिय रहती हैं। इसलिए अमृतसर की घटना को एक सामान्य घटना मानकर खारिज नहीं किया जा सकता है। इस घटना के कारणों की तह तक जाना जरूरी है। कुछ ताकतें पंजाब को फिर से अशांति की ओर धकेलना चाहती हैं। सीमा पार से इसके प्रयास चलते रहते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आज की इस घटना की गहराई से जांच कराई जाए। यह पंजाब के मुख्यमंत्री मान के लिए चेतावनी है।