भाजपाः राजस्थान व मध्य प्रदेश में अपने ही दे रहे हैं चुनौती

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-उमा भारती व कैलाश मेघवाल की नाराजगी बन सकती है परेशानी का सबब

-द ओपिनियन-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ के दौरे पर थे, जहां उन्होंने कई परियोजनाओं की सौगात दी और जनसभाओं को भी संबोधित किया। वह राजस्थान का दौरा पहले ही कर चुके हेैं। इन तीनों ही राज्यों में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए पीएम का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के दौरान सनातन के मुद्दे को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया पर काफी तेज प्रहार किए और वस्तुतः अगामी चुनावों के लिए एजेंडा सेट करने का काम भी किया। हालांकि कांग्रेस ने पीएम मोदी टिप्पणियों पर पलटवार किया है, लेकिन फिलहाल विपक्ष इस सवाल पर घिरता नजर आ रहा है। लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो भाजपा को उत्तर भारत के तीन चुनावी राज्यों में अपने ही लोगों की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है।

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उमा भारती

राजस्थान में जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे कैलाश मेघावल ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वहीं मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पार्टी से नाराज नजर आ रही हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आजकल आम आदमी पार्टी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पद चिह्नों पर चलते नजर आते हैं। वे लगातार लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन वे पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। कहीं ये नाराजगी पार्टी के लिए परेशानी का सबब न बन जाए। मध्य प्रदेश में पार्टी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती इन दिनों तीखे तेवर दिखाने में लगी हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने राजनीति से सन्यास नहीं लिया है और वह चुनाव मैदान में उतर सकती हैं। बताया जाता है कि उमा भारती पार्टी में अपनी उपेक्षा से खफा हैं। उन्हें हाल ही में जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल नहीं किया गया जिससे वे नाराज हैं। इसके बाद ही उन्होंने ऐलान कर दिया है कि मैं अगला चुनाव लड़ूंगी। उन्होंने साफ कहा, मैं चाहे 75 की हो जाउं या 85 साल की, राजनीति की दुनिया में सक्रिय रहूंगी और अगला चुनाव लडूंगी। मुझे राजनीति बहुत पसंद है। उमा भारती लोधी समुदाय से आती हैं और इस जाति का राज्य में अच्छा खासा वोट बैंक है। कई सीटों पर ये निर्णायक स्थिति में है। इससे पहले वे राज्य सरकार को प्रदेश की शराब नीति को लेकर भी विभिन्न फोरमों में घेरती रही हैं। लेकिन लगता है अब वे भाजपा कीे चुनाव संबंधी रणनीति से उन्हें दूर रखे जाने से खिन्न हैं और अपनी नाराजगी वे समय समय पर जताती रहती हैं।
राजनीति बदलाव का नाम है और इसमें सदा एक जैसा दौर नहीं रहता है। शायद उमा भारती के साथ ही वैसा ही हो लेकिन कई बार सांसद, केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रही उमा भारती फिलहाल अपनी उपस्थिति का एहसास करने में जुटी हैं। हालांकि पार्टी ने हाल में मध्य प्रदेश में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में उनके भतीजे राहुल सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल कर सामाजिक समीकरण साधने का प्रयास किया था; इसके अलावा उमा भारती के विश्वसनीय साथियों में शामिल प्रहलाद पटेल भी केंद्र में मंत्री बने हुए हैं। इसी प्रकार राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पार्टी के मंच पर अभी अग्रणी और निर्णायक भूमिका में नजर नहीं आ रही हैं, वहीं पार्टी ने अनुसूचित जाति के दिग्गज नेता रहे कैलाश मेघवाल को अनुशासनहीनता के मामले में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मेघवाल ने अपनी पार्टी के नेता व केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस प्रकार राजस्थान व मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में पार्टी के लिए अपने ही लोग चुनौती पेश कर रहे हैं।

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