राहुल गांधी का नारा, ‘डरो मत’ की झलक संसद में दिखाई देने लगी !

abhishek
फोटो साभार संसद टीवी

-देवेंद्र यादव-

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देवेंद्र यादव

इन दिनों कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दो नारे डरो मत और मोहब्बत की दुकान का असर संसद और सड़क पर दिखाई दे रहा है। राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान वाला नारा सड़क पर उस समय दिखाई दिया जब उत्तर प्रदेश सरकार ने फरमान जारी किया कि रेहडी वालों को अपनी दुकानों पर दुकान मालिक का नाम लिखना होगा, विपक्ष के नेताओं ने इस आदेश का विरोध किया और कांग्रेस ने रेहडी की दुकानों पर राहुल गांधी के नारे मोहब्बत की दुकान का स्टीकर बनाकर लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। मगर उत्तर प्रदेश की सड़कों पर
राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान खुल गई।
राहुल गांधी के दूसरे नारे डरो मत की झलक बुधवार 24 जुलाई को संसद में दिखाई दी जब इंडिया गठबंधन के सांसद खुलकर बोले और सरकार को घेरा।
लोकसभा में दो बार के तृणमूल कांग्रेस के युवा सांसद और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने बजट पर भाषण देते हुए केंद्र सरकार को घेरा । राहुल गांधी के नारे डरो मत का असर ऐसा था कि लोकसभा के स्पीकर को बनर्जी को टोकना पड़ा।
डरो मत का प्रभाव विपक्ष के सांसदों पर ऐसा पडता हुआ दिखाई दे रहा है और उनके यह समझ में आ गया है कि उन्हें जनता ने चुनकर संसद में भेजा है जबकि स्पीकर को सांसदों ने चुनकर स्पीकर की कुर्सी पर न्याय के लिए बैठाया है। और शायद इसीलिए अभिषेक बनर्जी ने बजट पर बहस करते हुए स्पीकर के टोकाटाकी करने पर कहा कि अपनी कुर्सी की पेटी बांधकर रखना।
अभिषेक बनर्जी का इशारा किस तरफ था यह तो वक्त बताएगा। मगर राजनीतिक पंडित और राजनीतिक विश्लेषकों को इतना तो समझ आ गया होगा कि विपक्ष के सांसद अब यह समझ गए हैं कि उन्हें जनता ने चुनकर भेजा है और उन्होंने न्याय के लिए स्पीकर को चुना है। लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी राजनीतिक गुरु की भूमिका में नजर आ रहे हैं।
राहुल गांधी ने सड़क पर नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोली और संसद में विपक्षी सांसदों का डर निकालकर भय मुक्त किया।
22 जुलाई को संसद के सत्र में इंडिया गठबंधन के दोनों ओपनरों ने अपनी वेटिंग समाप्त कर पवेलियन में बैठ कर 24 जुलाई को अपनी टीम के खिलाड़ियों की बैटिंग देखी। ओपनर राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने बजट पर बहस करने के लिए अपने युवा सांसदों को अवसर दिया।
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को उम्मीद थी कि बजट पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव बड़ी बहस करेंगे मगर उन्होंने यह अवसर अपने साथियों को दिया और इंडिया गठबंधन के सांसदों ने बजट पर जमकर बहस की। कांग्रेस की ओर से कुमारी शैलजा और तृणमूल कांग्रेस की तरफ से अभिषेक बनर्जी बोले।
अभिषेक बनर्जी ने अपने धारदार तर्कों से संसद में ममता बनर्जी की याद ताजा कर दी।
संसद में 24 जुलाई का दिन अभिषेक बनर्जी के नाम रहा जिसकी सुर्खियां राजनीतिक गलियारों और मुख्य धारा और सोशल मीडिया पर तैरती दिखाई दी। सत्ता पक्ष के लिए स्पीकर का कवच भी कुछ काम नहीं कर पाया, क्योंकि अभिषेक बनर्जी ने स्पीकर ओम बिरला से कहा कि आप विपक्ष के सांसदों को तो चुप करते हो मगर सत्ता पक्ष के सांसदों से कुछ नहीं कहते। आप निष्पक्ष रहें।
अभिषेक बैनर्जी 17वीं लोकसभा में भी सांसद थे मगर संसद में जो रूप उनका 18 वीं लोकसभा में दिखाई दिया वैसा रूप 17वीं लोकसभा में नहीं दिखाई दिया था।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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