
खम्मम की रैली में सुनाई दी एक नए राजनीतिक मोर्चे की आहट
-द ओपिनियन-
तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के चंद्रेशखेर राव ने बुधवार को खम्मम में एक बडी रैली आयोजित कर अपनी सियासी ताकत का राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किया। राव तेलंगाना के गठन के बाद से ही राज्य के मुख्यमंत्री पद पर आसीन है। लेकिन वह लम्बे समय से राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के संकेत देते रहे हैं और कल की रैली के बाद तो यह साफ हो गया कि अब उनका ध्यान राष्ट्रीय राजनीति पर टिक गया है और वे भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ एक सशक्त मोर्चे के रूप में सामने आ सकते हैं। राव ने राष्ट्रीय राजनीति में आने की अपनी इच्छा या महत्वाकांक्षा का संकेत अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम भारत राष्ट्र समिति करके दिया। इसके पहले उन्होंने कई राज्यों का दौरा किया। वह खासकर पंजाब और बिहार गए। कर्नाटक के जद एस के नेता कुमारस्वामी से भी मुलाकात की। इस दौरान राव अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, नीतीश कुमार समेत कई विपक्षी नेताओं से मिले। हाल ही में ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरधर गेमांग ने उनसे मुलाकात की थी। राव ने पंजाब और बिहार का दौरा किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों से मिलने और गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों के परिवारों से मिलने और उनका दुख बांटने के लिए किया था लेकिन उसके कई राजनीतिक मायने भी थे। शायद वे विपक्षी नेताओं के साथ अपने राजनीतिक तार जोड़ना चाहते थे। यह बात बुधवार को आयोजित रैली में भी साफ हो गई।
रैली में केरल के मुख्यमंत्री और माकपा नेता पी विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव व भाकपा नेता डी राजा भी मौजूद थे। इन नेताओं की उपस्थिति बहुत अहम थी। रैली में केंद्र की भाजपा नीत सरकार को सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया गया। राव ने कई अहम राजनीतिक घोषणाएं की। राव ने कहा कि यदि भारत राष्ट्र समिति के समर्थन से बनी सरकार सत्ता में आती है तो किसानों को मुफ्त बिजली मिलेगी, अग्निपथ योजना को बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा भी रैली में मौजूूद नेताओं ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर जमकर हमले बोले। सभा में मौजूद विपक्षी नेताओं ने एक सुर में भाजपा को केंद्र की सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया। विजयन ने केंद्र की भाजपानीत सरकार पर देश के संघीय ढांचे को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। ऐसे ही सुर अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव के थे। इन नेताओें की एक मंच पर उपस्थिति एक नया राजनीतिक मोर्चा बनने की ओर संकेत करता है। मंच पर उपस्थित नेताओं के दलों में सीधा राजनीतिक टकराव नहीं है। सभी के प्रभाव क्षेत्र अलग अलग हैं और गैर भाजपावाद के नाम पर एक हैं। इसलिए एक नए मोर्चे में ये नेता एकजुट होकर काम कर सकते हैं इसमें कोई संदेह नहीं है। अब देखना यह है कि राव इस रैली में दिए राजनीतिक संदेश को आगे एक संगठन के रूप में ढालते हैं या नहीं। अब सवाल यह भी उठता है कि क्या राव तेलंगाना की राजनीति से बाहर निकल कर केंद्रीय राजनीति में आएंगे? पिछले पांच छह माह के उनके राजनीति बयानों का अध्ययन किया जाए तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति मे सक्रिय हो सकते हैं। लेकिन राव की रैली में एक नेता की उपस्थिति खली। वह है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।
राव ने बिहार के दौरे के दौरान नीतीश से मुलाकात की थी। लेकिन लगता है कोई बात आडे आ गई कि नीतीश की रैली में उपस्थिति नजर नहीं आई। समझा जाता है कि नीतीश को राव ने रैली में आमंत्रित ही नहीं किया। यदि ऐसा है तो यह नीतीश के लिए झटका ही कहा जाएगा क्योंकि नीतीश को उनकी पार्टी प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानती है। हालांकि नीतीश ऐसी किसी महत्वाकांक्षा से इनकार करते रहे हैं। वे सिर्फ विपक्षी एकता की बात करते हैं और जब से उन्होंने राजद से गठबंधन किया है उन्होंने विपक्षी एकता को लेकर कई नेताओं से मुलाकात की थी। नीतीश फिलहाल बिहार में अपनी समाधान यात्रा पर हैं। अब सवाल उठता है क्या केसीआर का राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होना नीतीश की किसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के आड़े आ रहा है? राव ने अभी तक प्रधानमंत्री पद को लेकर खुद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं दिखाई है लेकिन रैली में यह नारा अवश्य लाग कि एक दो तीन चार,देश का नेता केसीआर। अब देखना यह है कि आगे चलकर क्या केसीआर देश के नेता बनने की दौड़ में शामिल होते हैं या नहीं और विपक्षी दल किस करवट बैठते हैं। इन नेताओं की केसीआर के मंच पर मौजूदगी से इतना तो संकेत मिलता है कि देश में एक नया राजनीतिक मोर्चा बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।