
जम्मू कश्मीर में निश्चित रूप से इंडिया गठबंधन ने सरकार बनाई मगर नेशनल कांफ्रेंस को 43 और कांग्रेस को मात्र 6 सीट क्यों मिली। जबकि जम्मू कश्मीर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जबरदस्त मेहनत की थी और हरियाणा की तरह जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर नेताओं में आपस में कोई विवाद भी नहीं था। इसके बावजूद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को केवल 6 सीट ही मिली।
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के नेता हरियाणा विधानसभा चुनाव की हार के लिए ईवीएम मशीनों को दोष दे रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता और उनके समर्थक बता रहे हैं कि यदि ईवीएम मशीनों में छेड़छाड़ हुई है तो भारतीय जनता पार्टी जम्मू कश्मीर में क्यों हारी, इसे ही कांग्रेस के नेताओं को समझना होगा, और यह समझना होगा कि जम्मू कश्मीर में निश्चित रूप से इंडिया गठबंधन ने सरकार बनाई मगर नेशनल कांफ्रेंस को 43 और कांग्रेस को मात्र 6 सीट क्यों मिली। जबकि जम्मू कश्मीर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जबरदस्त मेहनत की थी और हरियाणा की तरह जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर नेताओं में आपस में कोई विवाद भी नहीं था। इसके बावजूद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस को केवल 6 सीट ही मिली। क्या भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब और आंध्र प्रदेश की तरह क्षेत्रीय दलों को मजबूत जन आधार दिलाकर कांग्रेस को राज्य की राजनीति से बाहर कर दिया।
जहां तक जम्मू कश्मीर की बात है जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और भाजपा दोनों चुनाव हारी हैं वहां नेशनल कांफ्रेंस चुनाव जीती है।
यदि दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के पैटर्न को देखेंतो इन राज्यों में भले ही भारतीय जनता पार्टी अपनी सरकार नहीं बना पाई मगर उसने इन राज्यों में कांग्रेस की भी सरकार नहीं बनने दी। उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में तो क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को बाहर किया और दोनों ही राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकार बना ली। कांग्रेस को एक तरह से खत्म कर दिया। क्या कांग्रेस के रणनीतिकार इस पैटर्न को समझ कर भविष्य की अपनी रणनीति बनाएंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)