कुम्हेर कांड में नौ दोषियों को आजीवन कारावास

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-41 आरोपी बरी
-1992 में हुए कुम्हेर कांड में 16 लोगों की हुई थी मौत

-राजेश खंडेलवाल-

राजेश खंडेलवाल

भरतपुर। जिले के 31 साल पुराने बहुत चर्चित कुम्हेर कांड में शनिवार को एससी एसटी न्यायालय ने फैसला सुना दिया। मामले में न्यायालय ने 9 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि 41 लोगों को बरी कर दिया। वर्ष 1992 में हुए कुम्हेर कांड में 16 लोगों की मौत हुई थी और 45 लोग घायल हुए थे। मामले की सीबीआई ने जांच की थी। करीब 31 साल तक चले इस केस के दौरान अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है।

अधिवक्ता राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 31 साल पुराने कुम्हेर कांड के 6 जून 1992 के मुकदमा में शनिवार को एससी एसटी न्यायालय ने फैसला सुना दिया। विशिष्ट न्यायाधीश गिरजा भारद्वाज ने फैसले में 9 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इनमें लक्खो पुत्र राम सिंह, पारस जैन पुत्र माणकमल जैन, प्रेम सिंह पुत्र बेदो, चेतन पुत्र जय सिंह, मान सिंह पुत्र भंवर सिंह, शिव सिंह पुत्र राम सिंह, राजवीर पुत्र फौदी, पीतम पुत्र गिर्राज और गोपाल शामिल हैं। जबकि 41 लोगों को बरी कर दिया गया है।

फैसले के इंतजार में 36 की मौत
अधिवक्ता राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कुम्हेर कांड मामले में 87 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। पहले मामले की जांच पुलिस कर रही थी लेकिन बाद में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। केस करीब 31 साल की लंबी अवधि तक चला, इस दौरान 83 में से 36 लोगों की मौत हो गई। फिलहाल एक आरोपी फरार चल रहा है। शनिवार को फैसले के दौरान 87 में से 50 लोग मौजूद थे। अधिवक्ता राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 31 साल तक चले इस मुकदमे में कुल 283 गवाह पेश किए गए थे।

यह था कुम्हेर कांड
असल में जून 1992 में जिले के कुम्हेर क्षेत्र (वर्तमान में डीग जिला) में दो समुदायों/जातियों के बीच जातीय संघर्ष हुआ था। इसमें करीब 16 लोगों की मौत हो गई थी और 45 लोग घायल हुए थे। मारने वाले और घायल अधिकतर जाटव समाज के लोग थे। मामले की पहले तो पुलिस ने जांच की थी लेकिन बाद में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था।

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