दरा का नामकरण मुकुंदरा करने से मिलेगी नई पहचान

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-कृष्ण बलदेव हाडा-

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कृष्ण बलदेव हाडा

कोटा। पश्चिमी-मध्य रेलवे के कोटा मंडल में कोटा-रामगंजमंडी के बीच स्थित दरा रेलवे स्टेशन का नामकरण मुकुंदरा किए जाने की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया गया है। इस बारे में वन्य जीव संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण में रुचि रखने वाले पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यदि कोटा और झालावाड़ जिले सहित चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा क्षेत्र में विस्तृत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के प्रमुख हिस्से दरा अभयारण्य क्षेत्र में अवस्थित इस रेलवे स्टेशन का नामकरण दरा के स्थान पर मुकुंदरा किया गया तो इससे न केवल इस स्टेशन को पूरे देश भर में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व अलग पहचान मिलेगी।वन्य जीव एवं पर्यावरण में रुचि रखने वाले कोटा जिले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर, जो राजस्थान वाईल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य भी है, ने इस मसले को उठाते हुए कहा है कि दरा रेलवे स्टेशन की दीवारों पर ठीक उसी तरह से चित्रों का अंकन किया जाना चाहिए जिस तरह से राजस्थान के ही एक अन्य रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर की दीवारों पर वन्यजीवों खासतौर से बाघों के चित्रों का किया गया हैं। इससे न केवल दरा रेलवे स्टेशन की सुंदरता में इजाफा होगा बल्कि एक अलग पहचान मिलने के अलावा यहां से गुजरने वाली यात्री गाड़ियों के यात्रियों में इस क्षेत्र और उसके साथ ही मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने के प्रति रुचि जागृत होगी जिससे निश्चित रूप से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को बढ़ावा देने में योगदान मिलेगा।

उल्लेखनीय हैं कि सात हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैले राजस्थान के सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन की दीवारों पर रेलवे प्रशासन ने स्थानीय कलाकारों के जरिए न केवल बाघों के बल्कि अन्य वन्यजीवों सहित पेड़-पौधों आदि के अत्यंत ही सुंदर चित्रों का चित्रण कर रखा है जो बरबस यहां से गुजरने वाली यात्री गाड़ियों में सफर करने वाले यात्रियों का अपनी ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। इसके साथ यात्री इस बारे में स्थानीय लोगों से अधिक से अधिक जानकारी जुटाने का प्रयास भी करते हैं। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच स्थित सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन रणथम्भोर नेशनल पार्क की वजह से एक अपनी विशिष्ट पहचान रखता है क्योंकि रेल मार्ग से रणथम्भोर टाइगर रिजर्व पहुंचने के लिए सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन पर ही उतरना पड़ता है।


मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एकाकी जीवन जी रही रही एक बाघिन एमटी-4 के साथ जोड़ा बनाने के लिए रणथम्भोर नेशनल पार्क से लाकर छोड़े गए बाघ -110 के आगमन के बाद अभयारण्य क्षेत्र के पुनर्जीवन की नई संभावनाएं जीवित हुई हैऔर इसी के बीच यह मांग उठी है कि दरा रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित करके मुकुंदरा किया जाए। पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने इस बारे में रेलवे बोर्ड से भी आग्रह किया है।वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों से कोटा जिले के वन्य क्षेत्र को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में विकसित किए जाने से पहले इसकी पहचान दरा गेम सेंचुरी के रूप में ही थी जो कोटा-झालावाड़ मार्ग पर स्थित है और इसी मार्ग पर दरा गांव भी है। इस गेम सेंचुरी के बीच में गुजरने वाली रेलवे लाइन पर ही दरा रेलवे स्टेशन बना हुआ है।

रियासतकाल में राजा-महाराजाओं की आखेट स्थली रहा दरा गेम सेंचुरी एरिया उस समय करीब ढाई सौ वर्ग किलोमीटर के इलाके में विस्तृत था लेकिन जिस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयासों से इसकी राजीव गांधी नेशनल पार्क के रूप में स्थापना की गई, तब इसका इलाका बढ़कर 759.99 वर्ग किलोमीटर हो गया था, जिसमें कोटा जिले के अलावा झालावाड़ जिले और चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा इलाके के कुछ इलाके को भी शामिल किया गया था। बाद में हालांकि राजनीतिक कारणों से श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इस अभयारण्य का नाम बदलकर राजीव गांधी नेशनल पार्क की जगह मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व कर दिया गया था।
वन्य जीव की दृष्टि से दरा गेम्स सेंचुरी की पहचान इस इलाके में स्थित चंबल नदी के घड़ियालो के लिए खास तौर से है और चंबल नदी के इस इलाके को सरकार ने राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य का दर्जा भी दे रखा है।

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