बाघ- चीता मित्रः मुकुंदरा में ढूंढती रही आंखें बाघ को

- चीता के लिए भी उपयुक्त है जंगल

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– मुकेश सुमन-

 (सह सचिव चम्बल संसद)
कोटा। मुकुंदरा बाघ संरक्षित क्षैत्र के जंगल में वन्यजीव सप्ताह के दौरान छात्रों और बाघ चीता मित्रों की आंखें बाघ के दीदार को तरस रहीं थी। सावन भादो के पठारी जंगल में जहां दो वर्ष पहले तक बाघों का कुनबा निवास कर रहा था आज वन्यजीव संरक्षण सप्ताह के दौरान बाघों की कमी महसूस की गई। मुकुंदरा में वन भ्रमण के लिए आऐ छात्रों ने कहा कि यहां चीता भी बसाया जा सकता है लेकिन उससे पहले बाघों के पुनर्वास का सरकार को वादा पूरा करना चाहिए।

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वन भ्रमण पर गए छात्र और बाघ-चीता मित्र पदाधिकारी

वन भ्रमण पर जाने वाले बाघ- चीता मित्र (चम्बल संसद-राष्ट्रीय जल बिरादरी- तरूण भारत संघ) के पदाधिकारियों बृजेश विजयवर्गीय, चमन सिंह, डॉ कृष्णेंद्र सिंह,मुकेश सुमन, पृथ्वीपाल सिंह, भवानी शंकर मीणा, कपिल व्यास, मुकेश गुर्जर, अभय सिंह, भरत लोधा आदि ने कहा कि वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी समस्त चुनौतियों से जूझते हुए इस जंगल को बाघों के लिए सुरक्षित रखे हुए है। हाड़ौती के लोगों की भावना भी यहां पर बाघों के दर्शन की रही है। बाघ चीता मित्रों ने कहा कि इस जंगल को विशेषज्ञों ने चीता के लिए भी उपयुक्त माना है। भ्रमणार्थी लोगों का मानना है कि बाघ और चीता भी यहां एक साथ रह सकते है। चमन सिंह ने कहा कि यहां की जल संरचनाऐ और वनस्पतियां वन्यजीवों के अनुकूल है। तरूण भारत संघ मंडाना क्षैत्र में वर्षा जल संरचनाओं पर काम भी काम कर रहा है। जल संरचनाओं से वन्यजीवों को भी लाभ होगा। विजयवर्गीय ने बताया कि वन्यजीव सप्ताह के बाद प्रधान मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष,केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय,मुख्यमंत्री एवं एनटीसीए को पत्र लिख कर मुकंदरा को फिर से आबाद करने की मांग की जाएगी।

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