
नई दिल्ली। बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर विवाद लगातार बढता जा रहा है। देश के कई विश्वविद्यालय इस विवाद के केन्द्र में आ गए हैं। गुजरात के 2002 दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का विवाद जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू ) व जामिया से दिल्ली यूनिवर्सिटी पहुंच गया है। एनएसयूआई केरला द्वारा आर्ट फैकल्टी में आज स्क्रीनिंग के लिए शाम चार बजे का समय दिया था। लेकिन इसका आयोजन नहीं हो सका। कोई विवाद ना हो इसलिए गेट के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है। पुलिस ने धारा 144 भी लगा दी है। वहीं प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित अंबेडकर यूनिवर्सिटी से शुक्रवार को डॉक्यूमेंट्री के स्क्रीनिंग की बात सामने आई है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने वहां की बिजली ही काट दी। इसके चलते छात्र पहले से ही डाउनलोड की हुई डॉक्यूमेंट्री अपने फोन और लैपटॉप पर देखने लगे। इसके अलावा एबीवीपी छात्रों ने विरोध में तोड़फोड़ की।
यह विवाद अब मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) तक पहुंच गया है। टीआईएसएस ने शुक्रवार को कहा कि कुछ छात्र बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने की योजना बना रहे हैं। संस्थान ने इसकी स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी है। संस्थान ने कहा कि यह आयोजन इंस्टीट्यूट परिसर में शांति को खतरे में डाल सकता है। इस मामले में सख्ती से निपटा जाएगा।
पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी में भी इस विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई। वामपंथी संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा ) ने विश्वविद्यालय परिसर में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने यह जानकारी दी। पश्चिम बंगाल के ही प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की तैयारी चल रही है।
ब्रिटिश प्रसारक बीबीसी ने साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए एक डॉक्यूमेंट्री इंडियाः द मोदी क्वेश्चन जारी की है। बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रोपेगैंडा चलाने, पक्षपात करने और भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे। जिसके बाद इस डॉक्यूमेंट्री पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। सरकार के प्रतिबंध लगाने के बाद कई विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस कदम की आलोचना की।