
-नाटू – नाटू को आस्कर अवार्ड
-विवेक कुमार मिश्र-

नाटू नाटू या नाचों नाचों कब कह उठते हैं जब आंतरिक खुशियां छलक जाती हैं …मन पर… देह पर । जब आदमी बाहर भीतर एक सा खुशी अनुभव करता है तब नाचों – नाचों कह नाच उठता है । इस तरह नाचने के लिए कला और नृत्य में पारंगत होने से कहीं ज्यादा अपने भीतर खुशी को अनुभव करने की जरूरत है। यह खुशी तब होती है जब हम सब अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। हमारे पास जो है और जो कुछ आता है वहीं इस क्षण में नाचने लगता है । यह नाचना मन की गति है । अपने आप को पूर्णता में समझना है। मान लीजिए किसी को नृत्य नहीं आता पर वह लिखना जानता है और जब वह अपना सर्वश्रेष्ठ लिखता है तो नाच ही रहा होता है । कोई वैज्ञानिक है और जब वह किसी सिद्धांत पर पहुंचता है तो खुशी से नाच उठता है । कोई खिलाड़ी है कोई फुटबॉल का स्टार हैं जब वह विजेता गोल मारता है तो एक तरह से नृत्य ही करता है। किसान अपनी फसलों को जब घर लाता है अपने भंडार में रखता है तब उसका मन नृत्य करता है । इसी तरह आकाश में बादल जब तब झूम कर बरस उठते हैं तो हम कहते हैं कि आज बादल भी नाच रहा है । अपने आदिम लय में अपने मूल में पहुंच जाना ही जीवन का लय है। जीवन का आह्लाद है और नृत्य है । यह स्थिति मन की पूर्णता को दर्शाती है और यह कहती है कि हम जीवन को किस रूप में जीए। जीवन की पूर्णता, जीवन का लय और जीवन की तरंग ही हमें नाचों नाचों की ओर या नाटू नाटू की ओर ले जाती है।
यह नाचना ही सब कुछ हो जाता और आदमी न जाने कहां अपने अस्तित्व को छोड़कर रहता है कि हर क्षण साथ रहने वाला नाटू आज कहां है ? आदमी न जाने कहां गुम है। उसके पास धन दौलत की कमी नहीं है पर खुशी नहीं है वह कहां से नाचेगा ? कैसे नाचेगा ? यानी नहीं नाच सकता पर जब भीतर भरा होता है खुश होता है तो बिना कहे ही नाच उठता है और यह नाचना ही सबसे बड़ी पूंजी होती है । जीवन में कब खुश थे कब नृत्य किए अब यह याद नहीं रहता और दुनियादारी से घिरा आदमी न जाने कब तनाव और उब का शिकार हो जाता है कि कह नहीं सकते। अतः हर कोशिश कर आदमी को अपने मूल में रहते हुए अपनी खुशियों को जीना सीखना चाहिए और यह जीना ही सही मायने में नाचना होता है । यह खुशी यह नृत्य यह नाचना हर क्षण साथ रहने वाली बात है जो साथ रखता है जिंदगी वहीं जीता है कहने का मतलब यह कि अपने आप को पूर्णता में जीए । यह नाटू नाटू ही अब जिंदगी में रस घोलने का काम करती हैं। फिल्म आर.आर.आर. के ‘नाटू – नाटू’ को आस्कर अवार्ड 2022 ओरिजनल सांग श्रेणी में मिला है। इससे पहले इस गाने को गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड भी मिल चुका है। कामयाबी को जब अवार्ड मिलता है तो नये सिरे से पहचान शुरू होती है। समूह में, समाज में नाचना मनुष्य की आदिम वृत्ति है। वह शुरू से नाचता आ रहा है प्रसंग भले अलग तरह का हो पर जब मन में उल्लास होता है तो तरंग की तरह देह थिरकती है । नाचना बाह्य उपस्थिति नहीं है यहां कलाकार अपनी आंतरिक सत्ता के साथ नाचता हुआ दिखता है । नृत्य के क्षण में आदमी अपनी समूची सत्ता के साथ नृत्य में जाता है यहां जो आनंद लहरियां उठती हैं उसमें वह ऐसा डूबता है कि वर्षों तक निकल न पावे । जब वह अपने आप को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करना चाहता है तो उसके पास बस एक ही बात होती है कि वह नाच रहा है । नाचने में उसके साथ पूरा संसार ही होता है । इस तरह अपने को पूरा समर्पित कर देना ही नाचना हो जाता है । नाटू – नाटू या कहें नाचों – नाचों । यह नाचना अस्तित्व को पूर्णता में समझने का ही अर्थ है । जब हमारे भीतर और बाहर उल्लास एक समान हो जाते तो हम सब नाचने लगते हैं और एक ही स्वर उठता है नाचों नाचों या नाटू नाटू । नाचना अपने आप को पूर्णता में देखना होता है। जब हम अपनी समूची सत्ता को समर्पित कर देते हैं तो देह अनुभूति में गूंजती है । बोलने लगती है और जब आदमी अपने कार्य को पूर्ण रूप में करने के लायक हो जाता है तब मन से एक ही बात निकलती है कि नाचों ! यार नाचों । यह नाचना अपनी पूर्णता में खो जाना है । इस गाने पर आस्कर अवार्ड मिला है । आस्कर अवार्ड गाने के लिए नृत्य के लिए मिलना एक ऐसा मुकाम है जहां पर जाने के बाद लगता नहीं कि किसी कलाकार को कुछ और चाहिए। नाचों नाचों में देह थिरकती है । ताल पर जीवन का पूरा शोर नाचता है । आदमी जब अपना सब कुछ दे रहा होता है तो एक ही बात कहता है कि नाचों नाचों। धूम धूम थिरकेगा पांव । नाचों नाचों यहां देह की लय और उत्सव देखते बनती है । देह जब अपनी पूर्णता में उल्लास रचती है तो नाचती है । इस समय आप अपने अस्तित्व को उठा कर सामने रख देते हैं । इतना नाचते हैं कि धरती का पूरा धूल आपके उपर उड़ जाता है । इस तरह धरती से लेकर आसमान तक अपनी बात को लेकर जब पहुंचते हैं तो पूर्णता में ही नाचों – नाचों या नाटू – नाटू कह उठते हैं। नाटू नाटू या नाचों नाचों एक उत्सव है और जब आप उत्सव में होते हैं तो नाचों नाचों ही करते हैं । यहां आकर आदमी अपनी समूची सत्ता को अनुभव करता है । इस मनोभूमि पर पहुंच जाने के बाद कुछ और पाने को रह नहीं जाता । नाचों – नाचों बस नाचों नाचों या नाटू नाटू नाटू नाटू । यह नाटू नाटू ही संगीत है । नृत्य है । अर्थ है । जीवन है और उल्लास है । इस क्षण को अपने हाथ से न जाने दें जो खुशी है उसे झूम कर जी लें । जीना खुशी में डूब जाना और उत्सव में आ जाना ही जिंदगी है । छोटी छोटी खुशियां जुड़कर बड़ी होती हैं । अपनी हर खुशी को जीने के अनुभव से जोड़ कर देखिए जीवन कितना सुंदर है यह आप से आप बोल उठेगा और अंत में बस एक ही आवाज गूंजती है नाचों – नाचों – नाचों – नाचों।
सह आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002
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बहुत बहुत आभार। पढ़कर अपने पेज पर सेयर करने के लिए