
-विष्णु देव मंडल-

चेन्नई। वादे हैं वादों को क्या? तमिलनाडु सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन जो यह बात ताल ठोक कर कह रहे थे कि सरकार ने उत्तर पूर्व मानसून से निबटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन इसके उलट चेन्नई महानगर के दक्षिण- पश्चिम इलाकों में सड़कों पर तैरती नाव, घुटने भर पानी में स्कूल जाती बच्चियां अन्य इलाकों में विस्थापित हो रहे आमजन को देखने से प्रतीत हो रहा है की तमिलनाडु सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन आमजन को बारिश और जलजमाव से निजात दिलाने में नाकामयाब रहे हैं। आलम यह है कि रविवार को बारिश रुक जाने के बावजूद महानगर के कई ऐसे इलाके हैं जहां सड़को पर पानी भरा है तो घरों में बरसाती पानी घुसा हुआ है। खासकर पश्चिम और दक्षिण चेन्नई के बहुतेरे इलाके मौलीवक्कम, पोरूर, पुंदमली, गिरगमवाककम, वेलचेरी, मांगाडु आदि इलाकों में बरसात रूकने के बावजूद भी जलजमाव बरकरार है।

बारिश की वजह से भरे की से मौलीवक्कम इलाकों से कई परिवार अन्य इलाकों में विस्थापित किए गए हैं। बता दें कि मौलीवक्कम, कोलापक्कम, मुगलीवक्कम, गिरगंमवाककम, आदि इलाकों के लोगों को घर से बाहर निकल पाना कठिन हो गया है। जहाँ इन इलाकों में रहने वाले लोग काम पर नहीं जा पा रहे हैं, वहीं छात्रों को स्कूल जाने के लिए बेहद जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर नाव तैर रही हैं। कई परिवार को नाव से अन्य इलाकों में पहुंचाया जा रहा है।
जलजमाव का मुख्य कारण है अतिक्रमण
इन इलाकों में जलजमाव की मुख्य वजह अतिक्रमण है। मुगलीबाकम निवासी बी अनंत के अनुसार पोरूर नाले में बरसात का पानी नहीं गिर पा रहा है। कारण पोरूर नाला के मुहाने पर अतिक्रमण के कारण इनकी चौराई घटकर महज 10 फीट रह गई है। यही वजह है कि इन इलाकों का पानी नाले में निर्बाध नहीं पहुंच रहा है और लोगों को जलजमाव से समस्याएं उत्पन्न हो रही है। हजारों परिवार जलजमाव के कारण परेशान है!

चेंबरमबाकम जलाशय से पानी छोड़ने से भी बढी समस्या
गौरतलब है कि चेमबरवाककम झील से पानी छोडने से भी पोरूर, मौलीवाकम, मुगलीवाकम में पानी भर गया है। ड्रेनेज का निर्माण अपूर्ण होने के कारण इस इलाके से पानी का बहाव बिल्कुल रुक गया है जिसका खामियाजा इन इलाकों में रहने वाले निवासियों को हो रहा हैं।
कई इलाकों में पिछले 3 दिनों से बिजली गायब
इलाकों में भारी जलजमाव के कारण अनहोनी न घटे इसलिए कुछ इलाकों में बिजली आपूर्ति बंद है। आमजन अंधेरे में रहने को विवश है। एलएंडटी कंपनी में कार्यरत विजय शंकर का कहना है कि मुगलीबाकम आदि इलाकों में जलजमाव के कारण वह काम पर नहीं जा पा रहे हैं,जबकि उनका घर एलएनटी कंपनी से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इस इलाके में ऑटो और टैक्सी सेवा बंद है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में तमिलनाडु में भारी बाढ़ आई थी। कई इलाकों के लोग एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किए गए थे। बाढ़ के कारण करोड़ों रुपए की क्षति हुई थी। उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री यह जयललिता ने चेन्नई में आधुनिक ड्रेनेज निर्माण की बातें कही थी।

सरकारें बदल भी गई लेकिन अभी भी चेन्नई के अधिकांश इलाकों में ड्रेनेज निर्माण का काम अधूरा पड़ा हुआ है। भारी बरसात आने पर सड़कों पर जलजमाव और घरों में पानी घुसना आम बात है। जबकि हर साल सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन उत्तर पूर्व मानसून आने से पहले यह दावा करती रही है कि वह किसी भी चुनौतियों से निबटने के लिए तैयार हैं।सच तो यह है समस्याओं से दो-चार उन लोगों को होना पड़ता है जो टैक्स अदा करते हैं लेकिन तमिलनाडु सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन सिर्फ वादे करते हैं निभाते नहीं!