केेसीआर की प्रस्तावित रैलीः नए राजनीतिक ध्रुवीकरण की आहट

तेलंगाना में कांग्रेस व राव एक दूसरे के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, इसलिए इनका एक मंच पर आना संभव नहीं है। राव ने फिलहाल ऐसे नेताओं को आमंत्रित किया है जिनका उनसे सीधा राजनीतिक टकराव नही है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, विजयन का वाम मोर्चा सब का राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र अलग अलग है। अब अगर तमिलनाडु के सीएम स्टालिन और कर्नाटक के जद एस नेता कुमारस्वामी भी इससे जुड़ते हैं तो यह एक नए राजनीतिक गठबंधन का उदय हो सकता है। और यह मजबूत हुआ तो राहुल की कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती भी बनकर सामने आ सकता है।

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-क्या राहुल की राह में बनेगी बाधा

-द ओपिनियन-

इस साल नौ राज्यों में प्रस्तावित चुनावों से पहले विपक्ष की राजनीति में ध्रुवीकरण की आहट सुनाई दे रही है। इसकी बड़ी पहल तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की ओर से की जा रही है। राव की पार्टी की ओर से 18 जनवरी को खम्मम में एक रैली आयोजित की जा रही है। मौजूदा संकेतों के अनुसार राव इस रैली का बड़े स्तर पर आयोजितकर अपनी सियासी ताकत और अन्य विपक्षी दलों को साथ लाने की क्षमता दिखाना चाहते हेैं। इस रैली में वह अब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री के पी विजयन व सपा प्रमुख अखिलेश यादव को आमं़ित्रत कर चुके हैं। यदि ये नेता एक मंच पर उपस्थित होते हैं तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजनीति में एक नए ध्रुवीकरण की शुरुआत हो सकती है। राव काफी समय से यह संकेत दे रहे हैं कि उनकी योजना राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने की है। इसके लिए उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर अब भारत राष्ट्र समिति भी कर लिया है। उन्होंनें कुछ विपक्षी नेताओं व मुख्यमंत्रियों से हाल के दिनों में मुलाकात की है। वे पंजाब व बिहार के दौरे पर गए। किसान आंदोलन के दौरान प्राण गंवाने वाले किसानों के परिजनों व शहीद सैनिकों के परिवारों से भी मुलाकात की और उनको आर्थिक सहायता भी प्रदान की। यह राव की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने की योजना की ही अंग लगती है। इसलिए राव की यह प्रस्तावित रैली भविष्य की राजनीति की दृष्टि से नई पहल का आगाज भी हो सकती है। इसलिए देखना यह है कि राव जिन विपक्षी नेताओं को बुलाते हैं, वे क्या आगे चलकर राजनीति का एक नया मंच तैयार करेंगे! विपक्ष की राजनीति का एक केंद्र कांग्रेस है और वह इस समय राजनीतिक संजीवनी प्राप्त करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा में जुटी है। राहुल गांधी करीब तीन हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं और अब हरियाणा में हैं और कल उनकी यात्रा पंजाब में प्रवेश करने वाली है। तेलंगाना में कांग्रेस व राव एक दूसरे के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी है, इसलिए इनका एक मंच पर आना संभव नहीं है। राव ने फिलहाल ऐसे नेताओं को आमंत्रित किया है जिनका उनसे सीधा राजनीतिक टकराव नही है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, विजयन का वाम मोर्चा सब का राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र अलग अलग है। अब अगर तमिलनाडु के सीएम स्टालिन और कर्नाटक के जद एस नेता कुमारस्वामी भी इससे जुड़ते हैं तो यह एक नए राजनीतिक गठबंधन का उदय हो सकता है। और यह मजबूत हुआ तो राहुल की कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती भी बनकर सामने आ सकता है।

राजनीतिक एजेंडे की घोषणा संभव
समझा जाता हैै कि राव इस रैली में राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश के अपने एजेंडे की घोषणा कर सकते हैं। अपनी पार्टी का नाम परिवर्तन करने के बाद राव की यह पहली बडी राजनीतिक रैली होगी और इसमें अन्य विपक्षी नेताओं के शामिल होने से होने से यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि राव कोई नई राजनीतिक घोषणा कर सकते हैं।

पीएम मोदी का 19 को तेलंगाना का दौरा संभव
राव की रैली के आयोजन के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना के दौरे पर जाने वाले हैं। वह कई परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। तेलंगाना के अगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पीएम का यह दौरा भी राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में राव अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए रैली का बड़े पैमाने पर आयोजन करते नजर आ रहे हैं। चंद्रशेखर राव पीएम मोदी के तेलंगाना दौरों से दूरी ही बनाए रखते हैं। इसलिए इस बार भी पीएम मे दौरों से उनके दूर ही रहने के आसार हैं।

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