
– विवेक कुमार मिश्र-

विज्ञान के प्रयोग हमेशा से तथ्य पर , प्रयोग पर और हमारे उस अनुभव पर आधारित होते हैं जो न केवल जीवन को बल्कि हमारी सोच को प्रभावित और प्रकाशित करते हैं। जब चंद्रयान -3 क्षण क्षण में चांद के करीब जा रहा था। इस क्षण को देखने समझने के लिए पूरा देश टीवी स्क्रीन पर टकटकी लगाकर इस दृश्य को देख रहा था। यह सपना देश के हर नागरिक का था। चांद के साथ मनुष्य का रिश्ता बचपन से ही रहा है। चांद हर बच्चा का मामा होता है और चांद को हम सब बस देखते ही आ रहे हैं। कविता में, सपने में और जीवन के साथ साथ विज्ञान में हर जगह चांद अपने अस्तित्व के साथ साथ हमारी गतिविधियों को भी नियंत्रित करता रहा है। चांद सपने में, चांद यथार्थ में और चांद आज भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों में एक साथ देखा जा रहा है।
चांद पर चंद्रयान-3 पहुंच गया। यह एक ऐतिहासिक और जादू से भरा क्षण है जो पूरी तरह से विज्ञान की उपलब्धि है। विज्ञान के क्षेत्र में एक रोमांचकारी घटना के रूप में इस अवसर को देखा जा रहा है। कोई भी मिशन क्यों न हो उसकी सफलता में प्रयोग, अनुभव और अपने प्रयोग व प्रयास के प्रति एक सकारात्मक सोच ही हमें इस तरह के अवसर देता है। चांद पर जाना, चांद से बातें करना और चांद की दुनिया के बारे में जानना मनुष्य की सबसे बड़ी कहानियों में से एक रहा है। यह क्षण हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की महानतम उपलब्धि है।
चांद मनुष्य की कल्पना से लेकर यथार्थ संसार में उसका भाई बंधु बनकर हमेशा से आता रहा है। पृथ्वी के रहवासी लगातार चांद को देखते रहते हैं और अपने नजदीक महसूस करते रहे हैं। यह बराबर से देखने में आता है कि चांद है तो सौंदर्य है, चंचलता है, आकंार- प्रकार में नित्य नवीनता है और चांद लगातार अपना रूपाकार बदलता रहता है। चांद गति का रूपक बनाता है। चांद की गतिशीलता इस तरह है कि -एक दिन चांद कहता है कि –
‘हठ कर बैठा चांद एक दिन
माता से यह बोला
सिलवा दो मां मुझको एक मोटा झिंगोला।’
क्योंकि किसी एक नाप में चांद का कपड़ा आता ही नहीं। वहीं सब अपने अपने ढ़ंग से चांद से रिश्ता जोड़ते रहे हैं। 5.44 से एक-एक धड़कन के साथ पूरा देश देख रहा था चांद पर जाते हुए चंद्रयान -3 को। यहां पर 6.04 पर चंद्रयान -3 का पहुंचना लगन , निष्ठा और सपने की पूर्णता का क्षण है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का साक्षी पूरा देश है। वैज्ञानिक प्रगति देश की प्रगति और दुनिया के सामने भारत की शक्ति को रखता है। यह सफलता इसरो की है। अपने प्रयोग, अनुभव और हर स्थिति पर विचार करते हुए जिस संयम और संकल्प के साथ चंद्रयान-3 को चांद पर भेजा गया था वह क्षण सबके लिए गर्व का बन गया जब चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। यह इसरो के विश्वास की जीत और सफलता है। इस पर पूरे देश को गर्व है ।