
-चाँद ‘शैरी’-
न पूछो दर्दे-ग़म तन्हाइयों से
कि डर लगता है अब परछाइयों से
जलाऊँ दीप अश्कों के तो कैसे
मैं दागे-दिल की इन गहराइयों से
अगर हँसता जहाँ हँसने दो यारो
दुखा ले दिल मेरा शहनाइयों से
मिटेंगी आँधियाँ नफ़रत की ‘शेरी’
मुहब्बत की मेरी पुरवाइयों से
चाँद ‘शैरी’ (कोटा)
098290-98530
Advertisement